वाराणसी में गंगा पूजन: जर्मनी और थाईलैंड के धार्मिक नेताओं ने विश्व शांति के लिए किया अनुष्ठान

जर्मनी और थाईलैंड के धार्मिक नेताओं ने वाराणसी में गंगा नदी के तट पर श्रद्धालुओं के साथ मिलकर विश्व शांति और रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ति के लिए वैदिक अनुष्ठान किया। इस अवसर पर गंगा नदी में 15,000 मछलियों को भी मुक्त किया गया, जिसे जीवन और स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाता है।

वाराणसी में गंगा पूजन: जर्मनी और थाईलैंड के धार्मिक नेताओं ने विश्व शांति के लिए किया अनुष्ठान

Ganga Pujan in Varanasi: Religious leaders from Germany and Thailand performed rituals for world peace

जर्मनी और थाईलैंड के धार्मिक नेताओं ने वाराणसी में गंगा नदी के तट पर श्रद्धालुओं के साथ मिलकर विश्व शांति और रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ति के लिए वैदिक अनुष्ठान किया। इस अवसर पर गंगा नदी में 15,000 मछलियों को भी मुक्त किया गया, जिसे जीवन और स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाता है।

इस विशेष आयोजन में जर्मनी के धर्मगुरु थॉमस गेरहार्ड और थाईलैंड की धर्मगुरु बद्री मां शामिल हुए। थॉमस गेरहार्ड ने कहा,”जर्मन सरकार और उससे जुड़े लोग यूक्रेन युद्ध में राजनीतिक स्वार्थों के कारण शामिल हैं, लेकिन मैं विश्व की स्वतंत्रता और शांति के लिए काम करता हूं। मैं जर्मन राजा के रूप में भारत आया हूं, ताकि हिंदू धर्म और अन्य धार्मिक शक्तियों के साथ मिलकर दुनिया में शांति स्थापित कर सकूं। भारत, जर्मनी और थाईलैंड की मित्रता से आज हमने गंगा किनारे विश्व शांति के लिए प्रार्थना की है।”

थाईलैंड की धर्मगुरु बद्री मां ने भी अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा,”आज का दिन बहुत खास है। हमने मछलियों को आज़ादी दी, जो शिव का आशीर्वाद है। काशी वह स्थान है, जो संपूर्ण विश्व को नियंत्रित करता है। हम चाहते हैं कि विश्व में शांति आए और इसके लिए भारत, जर्मनी और थाईलैंड मिलकर प्रयास करें।”

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रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास युद्ध के प्रभाव ने वैश्विक संतुलन को प्रभावित किया है। रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण किया, जिससे भारी जान-माल का नुकसान हुआ और शरणार्थी संकट गहरा गया। वहीं, 7 अक्टूबर 2023 को फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह ‘हमास’ ने इजरायल पर हमला किया, जिसके बाद इजरायल ने गाजा पर सैन्य कार्रवाई शुरू की। गाजा में जारी संघर्ष में हजारों लोगों की जान जा चुकी है।

भारत ने हमेशा विश्व शांति की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वाराणसी में आयोजित यह अनुष्ठान भी इसी प्रयास का हिस्सा है, जहां शिव की नगरी काशी से संपूर्ण विश्व को शांति और सौहार्द्र का संदेश दिया गया।

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