भारत कथित तौर पर अमेरिकी रक्षा ठेकेदार जनरल इलेक्ट्रिक (GE) से इंजनों की डिलीवरी में देरी का सामना करने के बाद अपने तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) के लिए रूस से विमान इंजन खरीदने की कोशिश कर रहा है। GE के F404-IN20 इंजन, जो तेजस Mk-1A वैरिएंट को शक्ति प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसी बीच डीलीवरी में देरी के कारण इन बहुप्रतीक्षित लड़ाकू विमानों के उत्पादन में बाधा हो रही है।
तेजस का निर्माण करने वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने इंजन की डिलीवरी होते ही उत्पादन में तेजी लाने की उम्मीद जताई थी। हालांकि, देरी ने HAL को भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए ऑर्डर की समय पर पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विकल्प तलाशने पर मजबूर कर दिया है। अमेरिका से इंजन की आपूर्ति में रुकावट के जवाब में भारत सहायता के लिए रूस की ओर रुख कर रहा है, जो कि लंबे समय से भारत का रक्षा साझेदार भी रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार भारत ने तेजस के लिए रूसी निर्मित इंजन खरीदने के लिए चर्चा शुरू कर दी है। 2022 में भारत और रूस ने AL-31FP एयरो इंजन का स्थानीय रूप से उत्पादन करने के लिए एक जॉइंट वेंचर समझौता किया था, जिसका उपयोग वर्तमान में Su-30MKI लड़ाकू विमान में किया जाता है। यह इंजन अपनी विश्वसनीयता के लिए जाना जाता है और इसे तेजस इंजन आपूर्ति में कमी को दूर करने की क्षमता रखता है।
रूसी इंजनों की ओर कदम बढ़ाना भारत की रक्षा खरीद रणनीति में बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि देश महत्वपूर्ण सैन्य हार्डवेयर के अपने स्रोतों में विविधता लाना चाहता है। भारत सरकार लंबे समय से किसी एक आपूर्तिकर्ता पर निर्भरता कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, और यह निर्णय उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
GE F404 इंजन की आपूर्ति में देरी ने भारत के रक्षा संस्थानों में चिंता बढ़ा दी है। तेजस को शुरू में रक्षा में आत्मनिर्भरता के लिए भारत के प्रयास के हिस्से के रूप में HAL द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया था उसे उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। तेजस MK-1A से भारतीय वायुसेना के बेड़े में पुराने मिग-21 विमानों की जगह लेने और भारत की भविष्य की वायु रक्षा रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है। हालांकि, इंजन की डिलीवरी में चल रही देरी ने तेजस के उत्पादन को धीमा हुआ है।
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रूस की ओर रुख करने का एक महत्वपूर्ण लाभ लागत-प्रभावशीलता की क्षमता है। रूसी इंजन अक्सर अपने पश्चिमी समकक्षों की तुलना में अधिक किफायती होते हैं, जो भारत को तेजस कार्यक्रम के लिए आवश्यक क्षमताओं को बनाए रखते हुए लागत कम रखने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, रूस का भारत के साथ सैन्य सहयोग का एक लंबा इतिहास है, और दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध गहरे और बहुआयामी हैं। साथ ही भविष्य में रूस भारत के साथ तकनीक भी साझा करने के लिए तैयार है।
भारत की रक्षा रणनीति हमेशा से ही विविधतापूर्ण रही है। भारत ने दुनियाभर के कई रक्षा कंपनियों के साथ जुड़कर एक संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखे है। रूसी इंजनों की ओर कदम बढ़ाना इकलौते सप्प्लाइयर पर अत्याधिक अवलंब के जोखिम को कम करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में लिया भी हो सकता है।