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Wednesday, December 10, 2025
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जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने संभाला सेना प्रमुख का पदभार !

मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। जहां रीवा के सैनिक स्कूल से अपनी शिक्षा पूरी करते हुए उन्होंने सन 1981 में नेशनल डिफेंस अकादमी को ज्वाइन किया...

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मई के  महीने में रिटायर होते सेना प्रमुख को अतिरिक्त एक महीने का सेवा विस्तार दिया गया था। इस कार्यविस्तार के बाद आज के दिन यानी ३० जून तक उन्हें पद पर रहने के आदेश दिए गए थे। आज सेना प्रमुख मनोज पांडेय का कार्यकाल ख़त्म हुआ। सेना प्रमुख मनोज पांडे को आर्मी के कोर्प्स ऑफ़ इंजीनियर से बने पहले सेना प्रमुख के रूप में प्रसिद्धी मिली थी।

आर्मी नियमों के अनुसार नए सेना प्रमुख को, सेना प्रमुख का ऑफिस और बैटन सौंपने की परंपरा है, जिसको निभाते हुए सेना प्रमुख मनोज पांडेय ने अपना कार्यकाल ख़त्म किया।

इसी के साथ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने नए सेना प्रमुख के रूप में पदभार संभाला।

बता दें की, जनरल उपेंद्र द्विवेदी वाइस चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ के पद पर आसीन थे। मेडल्स की बात करें तो उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और तीन GOC-in-charge (General officer Commanding in Charge)  के कमेंडेशन कार्ड्स मिले है।

वे मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। जहां रीवा के सैनिक स्कूल से अपनी शिक्षा पूरी की, इसी स्कुल में नेवी चीफ एडमिरल दिनेश त्रिपाठी और उपेंद्र द्विवेदी दोनों ही एक साथ शिक्षा ग्रहण किए थे। 1981 में नेशनल डिफेंस अकादमी को ज्वाइन किया। ट्रेनिंग के पूरा होते ही 1984 में उन्हें जम्मू कश्मीर के 18वीं बटालियन का हिस्सा बना लिया गया।

नए सेना प्रमुख बचपन से ही खेलों के शौक़ीन है। वे खुद अच्छे खिलाडी रह चुकें है। अपने एनडीए और आयएमए की ट्रेनिंग के दरम्यान उन्होंने बेहद खास प्रदर्शन देते हुए कई मेडल्स जीते थे, इसके बाद भी उन्हें कमीशनिंग के दौरान भी फिजिकल ट्रेनिंग कोर्स में गोल्ड मेडल मिला है।

जनरल उपेंद्र द्विवेदी को कश्मीर वैली और राजस्थान के रेगिस्तान में काउंटर टेररिज्म का बहुत लंबा अनुभव है। इसी के साथ वे आसाम के सेक्टर कमांडर और आसाम राइफल्स में इंस्पेक्टर जनरल रह चुके है, जिस वजह से उन्हें इंटेंस काउंटर- टेररिज्म कार्रवाइयों का भी अनुभव है। उन्हें अपने उत्तर पूर्व में ड्यूटी के दरम्यान इंडो-म्यानमार बॉर्डर को नए सिरे से मैनेज करने के लिए भी जाना जाता है।
भारत के आत्मनिर्भर  भारत के ख्वाब को बल देते हुए, भारत के मिलिट्री की आधुनिकीकरण के दरम्यान उन्होंने कई भारत में निर्मित संसाधनों को आर्मी का हिस्सा बनाने में काम किया।

जनरल उपेंद्र द्विवेदी के पास आंतरराष्ट्रीय शांति सेना में भी काम करने का अनुभव रहा है। उन्होंने सोमालिया में इस दौरान काम किया है इसके अलावा वे सेशेल्स सरकार के  मिलिट्री एडवाइज़र भी रह चुके है।

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