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Tuesday, March 4, 2025
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वैश्विक टेलीकॉम हब: ‘भारत में दूरसंचार सेवाओं के विस्तार की व्यापक संभावनाएं’!

सरकार आयात पर निर्भरता कम करने और भारत को वैश्विक टेलीकॉम हब बनाने के लिए स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा दे रही है।

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सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) का कहना है कि भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेज़ी से बढ़ रही है, और इसमें आगे भी अपार विस्तार की संभावनाएं हैं। सीओएआई के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. एसपी कोचर के अनुसार, भारत में 1,187 मिलियन टेलीकॉम ग्राहक हैं। शहरी टेली-घनत्व 131.01% तक पहुंच चुका है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 58.31% है।

हालांकि, दोनों क्षेत्रों में विकास की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि 5जी सेवाओं का विस्तार तेज़ी से हो रहा है, जिसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), स्वदेशी डेटा सेट और स्थानीय डेटा केंद्रों की स्थापना से और मजबूत किया जा रहा है। सरकार ने जीएसटी रिफंड और बैंक गारंटी हटाने जैसे वित्तीय सुधार किए हैं। इसके अलावा, ₹6,000-₹7,000 की कीमत वाले किफायती 5जी स्मार्टफोन विकसित करने के लिए शोध चल रहा है।

कोचर के मुताबिक, दूरदराज के क्षेत्रों में नेटवर्क पहुंचाने के लिए सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है, जिससे उन इलाकों में कनेक्टिविटी संभव होगी जहां परंपरागत नेटवर्क पहुंचना मुश्किल है।

सरकार आयात पर निर्भरता कम करने और भारत को वैश्विक टेलीकॉम हब बनाने के लिए स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा दे रही है। उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना के कारण निवेश में इज़ाफा हुआ है, जिससे आत्मनिर्भरता और निर्यात क्षमता को बढ़ावा मिला है।

हालांकि भारत दुनिया के सबसे सस्ते टेलीकॉम बाजारों में से एक है, फिर भी डेटा खपत के मामले में वह वैश्विक नेता बन चुका है। साइबर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, स्पैम और ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए एआई-आधारित चेतावनी प्रणाली स्थापित की गई है, जिससे जालसाजी वाली कॉल्स को रोकने में सफलता मिली है।

सीओएआई के अनुसार, तेज़ी से बढ़ते घरेलू बाजार और वैश्विक स्तर पर बढ़ती पहचान के कारण भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री अभूतपूर्व विकास के लिए तैयार है। हाल ही में, सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में ₹262 करोड़ का लाभ दर्ज किया, जो 2007 के बाद पहली बार कंपनी के मुनाफे में वापसी दर्शाता है।

यह उपलब्धि नेटवर्क विस्तार, लागत नियंत्रण और उपभोक्ता-केंद्रित सुधारों का नतीजा है। स्पेक्ट्रम आवंटन और पूंजी निवेश जैसी सरकारी पुनरुद्धार योजनाओं ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है।

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