मुरादाबाद। एक अक्टूबर से जनता को रेलवे से राहत मिलने की उम्मीद है। कोरोना से दो सालों से ट्रेनों का टाइम टेबल अटका हुआ है। माना जा रहा है कि एक अक्टूबर से टाइम टेबल जारी हो सकता है। बताया जा रहा है कि गाड़ियों को मिला त्योहारों और स्पेशल का भी दर्जा हटेगा। यानी ट्रेनों के आगे लगा जीरो भी हटेगा। इसके हटते है गाड़ियों के किराये में अंतर् आ जाएगा और रेलगाड़ियां अपने पुराने यानी सामान्य किराये के आधार पर चलेंगी।
कोरोना की पहली लहर के बाद रेलवे ने ट्रेनों का संचालन शुरू किया तो गाड़ियां जीरो नंबर से संचालित हुई। जीरो से शुरू नंबरों से ट्रेनों का किराया औसत से तीस से पचास प्रतिशत अधिक हो गया। पर्व न होने के बावजूद रेलवे बोर्ड ने ज्यादातर गाड़ियों का अपने ढंग से किराए का निर्धारण किया। चुनिंदा ट्रेनों में पहले जैसा सामान्य किराया था। वहीं ज्यादातर दोगुने से भी ज्यादा का अंतर।
पर सवा साल से रेल यात्रियों का बजट बिगाड़ रही ट्रेनों से जीरो नंबर हटाकर पुराने फार्मूले पर चलाने की मंशा है। कोरोना से रेलवे में ट्रेनों का टाइम टेबल भी अटका है। रेलवे में अब पहली अक्टूबर से नया टाइम टेबल आने की संभावना है। कोरोना से उलट पुलट हुई ट्रेनों के शेड्यूल को नए सिरे से तैयारी के साथ ही टाइम टेबल में जीरो नंबर से ट्रेन संचालन की पाबंदी हट जाएगी। इससे पटरी से उतरीं रेलवे में किराया नीति के ‘बहाल’ होने की उम्मीद है। अजय नंदन डीआरएम मुरादाबाद ने बताया कि रेलवे बोर्ड को ट्रेनों को लेकर जानकारियां उपलब्ध कराई जाती है। पिछली बार भी डिवीजन से बोर्ड को सूचनाएं भेजी गई थी।
हालांकि रेलवे का टाइम टेबल अक्तूबर में जारी होता है। अभी ट्रेनों के जीरो नंबर से हटने का अनुमान नहीं है। कोरोना काल के बाद शुरु संचालन में रेलवे ने स्पेशल व फेस्टविल के नाम पर ज्यादा किराया वसूला। बल्कि एमएसटी धारक,सीनियर सिटीजन व बीमार यात्रियों को मिलने वाली छूट भी खत्म हो गई। नए टाइम टेबल में यदि पुराने फार्मूले पर अमल हुआ तो इन यात्रियों को भी राहत मिलेगी। गरीब रथ, बरेली-दिल्ली इंटरसिटी, आला हजरत, अवध आसाम, लिंक, चंडीगढ़ इंटरसिटी समेत चुनिंदा गाड़ियों का किराया सामान्य है। पर बेगमपुरा, काशी, पाटलिपुत्र आदि फेस्टविल व स्पेशल ट्रेनों में बढ़े किराए के साथ चलाया जा रहा है।
यहीं कारण है कि एक से दूसरे स्टेशन तक के किराए में तीन तरह का किराया था। रेलवे ने आम रेल यात्रियों के लिए सबसे सस्ती पैसेंजर ट्रेनों(अनरिजवर्ड) का संचालन शुरू किया तो उसमें मेल-एक्सप्रेस का किराया जोड़ दिया। निर्धारित दूरी का मानक तय कर किराया बढ़ा दिया।