नई दिल्ली। मोदी सरकार को उम्मीद है कि करोना संक्रमण के कारण हो रही मौत का आंकड़ा जून से कम हो सकता है, 7 मई के आंकड़े पर गौर करें, तो पायेंगे देश में 4.14 लाख मामले थे इसमें 2.63लाख की गिरावट दर्ज की गयी 18 मई से पिछले सात दिनों की ग्रोथ 3.1 फीसदी है.दूसरी तरफ हर दिन कोरोना संक्रमण से हो रही मौत का आंकड़ा 18 मई को 4329 तक पहुंच गया. आज संक्रमण से हुई मौत का 4529 पहुंच गया है. अगर आज के आंकड़े को छोड़कर देखें तो पिछले सात दिनों में ग्रोथ रेट 1.6 फीसदी है.सरकारी अधिकारी ने बताया है कि आज के आंकड़े को छोड़कर मौत के आंकड़ों की तुलना करें तो पायेंगे यह आंकड़ा 15- 20 दिनों के अंतराल में बढ़ता है खासकर तब जब संक्रमण के मामलों की संख्या ज्यादा होती तभी संक्रमण से हुई मौत का आंकड़ा बढ़ता है. जून से पहले कोरोना संक्रमण से हो रही मौत के आंकड़ों में कमी आ सकती है.सरकार यह भी उम्मीद कर रही है कि जून से वैक्सीन सप्लाई में भी तेजी आयेगी. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बॉयोटेक मिलकर राज्य और केंद्र को सप्लाई बढ़ायेंगे. जून से कई राज्यों में लॉकडाउन से थोड़ी राहत मिल सकती है. संभव है कि इस वक्त के बाद आपका वर्क फॉर्म होम भी खत्म हो जाये और आपका दफ्तर आकर काम करना पड़े, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी माना है कि इस वक्त वैक्सीनेशन की रफ्तार बहुत धीमी है, इसमें तेजी लाना जरूरी है. हर दिन 20 से 25 लाख लोगों का वैक्सीनेशन हो रहा है जो कम है. उन्होंने कहा, तूफान की वजह से वैक्सीन की रफ्तार में कमी आयी है, महाराष्ट्र, गुजरात इन दोनों राज्यों में वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज है।
भारत में सिर्फ 2% लोग ही कोरोना महामारी से संक्रमित
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से आंकड़े जारी करके जानकारी दी गई है कि सिर्फ 2 फीसदी भारतीय आबादी ही कोरोना वायरस संक्रमण से प्रभावित हुई है. इसके मुताबिक 98 फीसदी आबादी अब भी खतरे में है.स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि दूसरे देशों में कोरोना से प्रभावित जनसंख्या की हिस्सेदारी काफी अधिक है, लेकिन भारत इसे कम रखने में सफल रहा है. ऐसा यहां कोरोना से निपटने के लिए अपनाए गए उपायों के कारण हुआ है.स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने कहा कि अधिक संख्या में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने के बावजूद हमने संक्रमण को सिर्फ 2 फीसदी आबादी तक ही सीमित रहने दिया. ऐसा चिकित्सकीय मदद के कारण हुआ.हालांकि कुछ लोगों ने सरकार की ओर से जारी आंकड़ों पर सवाल भी उठाए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने नेशनल सीरो सर्वे के नतीजों को नजरअंदाज किया है, जिसमें कहा गया था कि देश की करीब 20 फीसदी आबादी कोरोना संक्रमण से प्रभावित हो चुकी है. इंडियन काउंसिल ऑफ इंडिया (ICMR) की ओर से किए गए सीरोलॉजिकल सर्वे में कहा गया था कि देश की 21.4 फीसदी युवा आबादी पिछले साल दिसंबर के मध्य तक कोरोना की चपेट में आ चुकी थी।