गुजरात के मोरबी पुल हादसे में अब तक 135 लोगों की मौत हो चुकी है| इनमें 34 बच्चे भी शामिल हैं। घटना के दो दिन बाद भी इलाके में बचाव कार्य जारी है| इस बीच, जिला प्रशासन के अधिकारियों की ओर से परमार परिवारों को 16 लाख की आर्थिक सहायता सौंपी। आर्थिक मदद मिलने के बाद पीड़ित परिवार ने अपना दर्द बयान करते हुए कहा कि मैं इस मदद का क्या करूँ?
मोरबी पुल हादसे में परमार ने अपने 27 वर्षीय बेटे गौतम, बहू चंद्रिका बेन और दो पोते-पोतियों को खो दिया। अधिकारियों ने मोरबी के वाजेपार इलाके के आसिफ भाई मकवाना और प्रभु भाई घोगा के परिवारों को राहत चेक भी सौंपा है| मोरबी पुल हादसे में मकवाना के परिवार के तीन सदस्यों और घोगा की बेटी प्रियंका की मौत हो गई है|
मकवाना और घोगा परिवार करीब तीन दशक से पड़ोसी हैं। मेरी बहन प्रियंका छोटे अरशद से बहुत प्यार करती थी। जब दोनों के शव मिले तो प्रियंका अरशद की बाह को पकड़े हुए थी|घोगा ने कहा है कि हादसे में उनकी मां बाल-बाल बच गईं। मकवाना और घोगा परिवार दुख में एक दूसरे का साथ दे रहे हैं। वे इस घटना के संबंध में ‘ओरेवा’ कंपनी के साथ प्रशासन से जवाब चाहते हैं।
पीड़ित परिजनों ने सवाल किया कि मोरबी नगर पालिका इस पुल का प्रबंधन करती है। पुल पर 50 लोगों को जाने की इजाजत थी। प्रवेश और निकास को नियंत्रित किया जाना था। लेकिन एक नगर पालिका एक निजी कंपनी को इस पुल पर जितने चाहें उतने लोगों को जाने की अनुमति कैसे दे सकती है? 100 साल पुराने इस पुल के लकड़ी के तख्तों को क्यों नहीं हटाया गया?
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