हबीबगंज नहीं, अब रानी कमलापति स्टेशन कहिये, इसके पीछे की यह है कहानी   

हबीबगंज नहीं, अब रानी कमलापति स्टेशन कहिये, इसके पीछे की यह है कहानी   

एक और रेलवे स्टेशन का नाम बदलेगा, जिसकी मंजूरी केंद्र की सरकार ने दे दी है। मध्य प्रदेश के हबीबगंज का नाम रानी कमलापति स्टेशन होगा। इस संबंध में राज्य सरकार ने केंद्र को एक पत्र भी भेजा था। इस नाम के रखने की वजह भी राज्य सरकार ने बताई गई है। बता दें कि 15 नवंबर को पीएम मोदी ‘जनजातीय गौरव दिवस’ कार्यक्रम में मध्य प्रदेश में होंगे और इस दौरान इस रेलवे स्टेशन का भी उद्घाटन करेंगे जो 100 करोड़ की लागत से पुनः विकसित किया गया है।

उपसचिव वंदना शर्मा की ओर से भेजे गए पत्र में अनुरोध किया था कि हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति रेलवे स्टेशन रखा जाए। हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर रखने के पीछे रानी कमलापति की वीरता और पराक्रम है। मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के उपसचिव वंदना शर्मा के प्रस्ताव में इस बात का जिक्र है। इस पत्र में लिखा है कि 16वीं सदी में भोपाल क्षेत्र गोंड शासकों के अधीन था। वहीं गोंड राजा सूरज सिंह शाह के बेटे निजामशाह का रानी कमलापति से विवाह हुआ था। रानी कमलापति ने जीवनभर अत्यंत बहादुरी और वीरता के साथ आक्रमणकारियों का सामना किया था।

उनकी स्मृतियों को सहेजने और उनके बलिदान के प्रति कृतज्ञता के लिए राज्य सरकार ने भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम से रखने का निर्णय लिया है। गोंड समुदाय में 1.2 करोड़ से अधिक की आबादी वाला देश का सबसे बड़ा आदिवासी समूह शामिल है और यह समुदाय द्रविड़ भाषा परिवार की दक्षिण मध्य शाखा के गोंडी-मांडा उपसमूह से जुड़ा हुआ है।

गौरतलब है कि इससे पहले गुरुवार को भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने स्टेशन का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने की मांग की थी। बता दें कि हबीबगंज रेलवे स्टेशन के नामकरण से पहले, इलाहाबाद रेलवे स्टेशन और मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम भी बदल चुका है। अब उनका नाम क्रमशः प्रयागराज और पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन में बदल दिया गया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 15 नवंबर को यानी आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है। इस बीच पीएम मोदी यहां सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे।

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