इस्राइल के ऐतिहासिक शहर हाइफ़ा ने सोमवार (29 सितंबर)को प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर शहर के मेयर योना यहाव (Yona Yahav) ने ऐलान किया कि अब हाइफ़ा के स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली इतिहास की किताबों में यह स्पष्ट किया जाएगा कि शहर को ब्रिटिश नहीं, बल्कि भारतीय सैनिकों ने ओटोमन शासन से मुक्त कराया था।
मेयर यहाव ने कहा,“मैं इसी शहर में पैदा हुआ और यहीं पढ़ाई की। हमेशा हमें बताया गया कि ब्रिटिश ने हाइफ़ा को आज़ाद कराया। लेकिन ऐतिहासिक सोसायटी के शोध के बाद यह सच सामने आया कि शहर को भारतीय सैनिकों ने मुक्त कराया था। अब हर स्कूल में किताबें बदलकर यह लिखा जा रहा है कि हमें ब्रिटिश नहीं, भारतीय सैनिकों ने आज़ादी दिलाई।”
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान माइसोरे, हैदराबाद और जोधपुर लांसर रेजीमेंट्स के घुड़सवारों ने तलवार और भालों के बल पर दुर्गम कार्मेल पहाड़ियों से ओटोमन सैनिकों को खदेड़ दिया। इतिहासकार इसे “आख़िरी महान घुड़सवार युद्ध” मानते हैं। इस लड़ाई में जोधपुर लांसरों ने 700 से अधिक कैदियों, 17 तोपों और 11 मशीनगनों पर कब्ज़ा किया, हालांकि उनके आठ जवान शहीद हुए और 34 घायल हुए।
भारतीय सैनिकों की वीरता के लिए कई अधिकारियों को सम्मान मिला, मेजर दलपत सिंह को “हीरो ऑफ हाइफ़ा” कहा गया और मिलिट्री क्रॉस से नवाज़ा गया। कैप्टन अमन सिंह बहादुर और दफादार जोर सिंह को इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट मिला। कैप्टन अनुप सिंह और सेकंड लेफ्टिनेंट सगत सिंह को मिलिट्री क्रॉस प्रदान किया गया।
भारत हर साल 23 सितंबर को हाइफ़ा दिवस मनाता है। इस दिन भारतीय सैनिकों के शौर्य को याद करने के लिए हाइफ़ा के भारतीय सैनिक स्मारक में समारोह होता है। भारतीय राजदूत जेपी सिंह ने कार्यक्रम में कहा, “यह लगभग अकेला ऐसा अवसर था जब एक किलेबंद शहर को घुड़सवारों ने दौड़ते हुए जीत लिया। इन सैनिकों का बलिदान कभी भुलाया नहीं जाएगा।”
VIDEO | The Israeli city of Haifa on Monday paid tributes to fallen Indian soldiers, with the Mayor noting that the city's school history books are being changed to correct that it was Indian troops and not the British who liberated the city from Ottoman rule.
“I was born in… pic.twitter.com/cSXsGxuDnA
— Press Trust of India (@PTI_News) September 29, 2025
आज भी इस्राइल में हाइफ़ा, यरुशलम और रमले में भारतीय सैनिकों के स्मारक मौजूद हैं। लगभग 900 भारतीय सैनिकों की कब्रें इन कब्रिस्तानों में हैं, जिनमें कुछ यहूदी मूल के भारतीय भी शामिल थे।
भारत-इस्राइल दोस्ती के प्रतीक के रूप में दिल्ली के टीन मूर्ति चौक का नाम बदलकर टीन मूर्ति हाइफ़ा चौक कर दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में हाइफ़ा के कब्रिस्तान जाकर श्रद्धांजलि दी थी और 2018 में इस्राइल पोस्ट ने भारतीय सैनिकों के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया। भारतीय सैनिकों का बलिदान अब हाइफ़ा की नई पीढ़ी को पढ़ाया जा रहा है। मेयर यहाव के अनुसार, “अब यह शहर के हर बच्चे को मालूम है कि हमें ब्रिटिश नहीं, भारतीय सैनिकों ने आज़ाद कराया।”
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