बलिया। अब यूपी से सटे गाजीपुर और बलिया में गंगा के किनारे लाशें तैरती हुई मिली. इससे दो दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के कानपुर में भी लाशें मिली थीं। वहीं, सोमवार को बिहार के बक्सर में गंगा के घाट पर शव मिलने पर ग्रामीणों में हड़कंप मच गया था. यह प्रशासन की नाकामी कही जाए या लोगों की असंवेदनशीलता जो गंगा में शव प्रवाहित कर रहे हैं। अब बलिया में 46 शवों को पुलिस ने बाहर निकाला है। आशंका जताई जा रही है कि ये शव कोरोना पीड़ितों के है। ऐसे शव मिलने से लोग दहशत में हैं। अब यह सवाल उठाने लगा है कि आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है ?
शवों को दफनाया गया
बलिया के उजियार घाट और भरौली पर बहकर आये दर्जनों शवों को पुलिस ने निकलवाया है। बताया जा रहा है कि उजियार में 40 से अधिक और भरौली में 6 शवों को पुलिस ने गंगा से बाहर निकलवाया है। पुलिस प्रशासन ने जेसीबी द्व्रारा गड्ढा खोदकर सभी शवों को जमीन में गड़वाया दिया है।
बता दें कि बलिया के उजियार घाट के ठीक उस पार बिहार का बक्सर है। इससे पहले गाजीपुर में गंगा में कुछ लाशें बहती हुई दिखीं। गाजीपुर की गंगा में लाशें दिखने के बाद डीएम एमपी सिंह ने कहा कि हमें गंगा में लाशों की जानकारी मिली। हमारे अधिकारी मौके पर मौजूद हैं और एक जांच चल रही है। हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे कहां से आए थे। इससे पहले बक्सर के डीएम अमन समीर ने कहा था कि यूपी की ओर से लाशें बहकर सीमा में आ गई है।बक्सर के सदर एसडीओ ने वहां जाकर गाजीपुर के सेवराई के एसडीओ के साथ मिलकर घाट का निरीक्षण किया। घाट पर करीब 35-40 लाशों को देखा गया।
निकम्मा प्रशासन,असंवेदनशील जनता
इसमें दोराय नहीं है कि ये शव कोरोना पीड़ित के नहीं है. इस महामारी के दौरान लोगों की असंवेदना का जीता जगाता उदाहरण है गंगा में दर्जनों शव बहाना। लगातार कोरोना पीड़ितों की मौत से न तो श्मशान में लकड़ी मिल रही है और न ही इस अव्यवस्था के बीच इलेक्ट्रानिक सिस्टम से शव को जलाने की सुविधा। हर तरफ मायूसी और मातम छाया हुआ है। एक घर से दो तीन लाशें निकलने से लोग सदमें हैं। आर्थिक संकट भी बड़ा है। लोग रुपए पैसे के अभाव गंगा में शवों को बहा दे रहे हैं. कई स्थानों पर चिताओं का ढेर लगा हुआ है जिसकी वजह से लोग शव को छोड़ कर चले जा रहे हैं। प्रशासन भी उतना ही जिम्मेदार है जितनी जनता। प्रशासन को चाहिए की शव को ठीक तरह से जलाया जाए. अन्य सुविधाओं को मुहैया करने की जिम्मेदारी प्रशासन की है। लेकिन प्रशासन का निकम्मापन बीमारी को बढ़ाने में मदद करेगा।