नेपाल में पिछले दो दिनों से जारी हिंसक प्रदर्शनों के बाद भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। केंद्रीय एजेंसियों ने अलर्ट जारी करते हुए चेतावनी दी है कि उपद्रवी तत्व इस अशांति का फायदा उठाकर भारत के सीमावर्ती राज्यों में भी गड़बड़ी फैलाने की कोशिश कर सकते हैं।
खुफिया सूत्रों के अनुसार, असामाजिक तत्व हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की योजना बना सकते हैं। इसी को देखते हुए उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल पुलिस के साथ-साथ सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) को पूरी तरह सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। भारत-नेपाल की 1,751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा पर विशेष निगरानी रखी जा रही है।
उत्तराखंड के चंपावत जिले में, जहां सीमा नेपाल के महेंद्रनगर से जुड़ती है, नेपाल सेना द्वारा कर्फ्यू लगाए जाने के बाद सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है। पिथौरागढ़ के धारचूला में स्थानीय लोग अपने नेपाल स्थित रिश्तेदारों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। बिहार के मधुबनी में एसएसबी की तैनाती बढ़ाई गई है। वहां के पुलिस अधीक्षक योगेंद्र कुमार ने कहा, “नेपाल की मौजूदा स्थिति को देखते हुए मधुबनी पुलिस पूरी तरह सतर्क है। सभी सीमा चौकियों पर 24 घंटे निगरानी रखी जा रही है और सीमा पार करने वालों की सघन जांच की जा रही है।”
उत्तर प्रदेश के सात सीमावर्ती जिलों पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज में भी सुरक्षा इंतजाम कड़े किए गए हैं। डीजीपी राजीव कृष्ण ने बताया कि सीमा पर 73 चेकपॉइंट्स को हाई अलर्ट पर रखा गया है और गश्त बढ़ा दी गई है। लखीमपुर खीरी के एसएसपी संकल्प शर्मा ने कहा कि बीएसएफ और अन्य एजेंसियों के साथ लगातार समन्वय किया जा रहा है और संयुक्त गश्त चलाई जा रही है।
पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के पानीटंकी सीमा पर भी सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है, जहां 24 घंटे निगरानी की जा रही है। अधिकारियों के अनुसार, गौरीफंटा सीमा (उत्तर प्रदेश के पलिया तहसील को नेपाल के धनगढ़ी से जोड़ने वाली) पर स्थिति तनावपूर्ण जरूर है, लेकिन कड़ी सुरक्षा निगरानी के बीच हालात फिलहाल नियंत्रण में हैं। नेपाल में जारी अशांति का असर अब भारत की सीमाओं पर भी महसूस किया जा रहा है और सुरक्षा एजेंसियां हर स्तर पर संभावित खतरे को टालने की तैयारी में जुट गई हैं।
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