चीता के बाद अब कोलंबिया से भारत आएंगे हिप्पोज, बनाई जा रही है योजना…

कोलंबिया से 60 हिप्पो आएंगे भारत, कोलंबिया की सरकार पूरा खर्चा खुद उठाएगी और एयरलिफ्ट और लोहे के कंटेनर की खुद-ब-खुद व्यवस्था करेगी।

चीता के बाद अब कोलंबिया से भारत आएंगे हिप्पोज, बनाई जा रही है योजना…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 74वें जन्मदिवस पर भारत की जमीन पर चीतों का स्वागत किया गया। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से 8 चीते लाए गए थे। साल 1948 में देश में आखिरी चीता दिखा था, उसके बाद ये विलुप्त करार दे दिया गया। इसी क्रम में दूसरा अध्याय 18 फरवरी को जुड़ा जब दक्षिण अफ्रीका से लाए जा रहे 12 चीते वायुसेना के Mi-17 हेलीकाप्टर से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क लाए गए थे। इन 12 चीतों के आने के बाद अब कूनो में चीतों की संख्या 20 हो गई है।

वहीं अब इसी क्रम में एक नया अध्याय जुड़ गया है दरअसल हिप्पोज की बढ़ती जनसंख्या से परेशान कोलंबिया की तरफ से 60 से ज्यादा हिप्पोज (दरियाई घोड़े) भारत आ सकते है। फिलहाल इसको लेकर विचार किया जा रहा है। बता दें कि 1980 के दशक में चार हिप्पोज गैरकानूनी तौर पर अफ्रीका से लाए गए थे, जिसके बाद से इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ये हिप्पोज पाब्लो एस्कोबार के ठिकाने के पास में हैं। यहाँ जिस पाब्लो एस्कोबार का जिक्र किया जा रहा है वो एक बहुत बड़ा ड्रग तस्कर था और बेहद खतरनाक कोकीन तस्कर था।

हिप्पोज का वजन 1800 किलो से लेकर 3200 किलो तक होता है। ये हिप्पोज कोलंबिया के मैगडालेना नदी के किनारे बोगोटा से 200 किमी दूर स्थित हैसिंडा नेपोल्स रैंच तक फैल गए हैं, जोकि चिंता का विषय हैं। पर्यावरण अधिकारियों का मानना है कि एंटिओक्विया प्रांत के क्षेत्र में वर्तमान में लगभग 130 हिप्पो हैं और आठ वर्षों में इसकी आबादी 400 से अधिक हो जाएगी।

हालांकि पुलिस ने कोकीन तस्कर को 1993 में मार गिराया था, जिसके बाद से एस्कोबार के हैसिएंडा नेपोल्स रैंच और हिप्पोज स्थानीय पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गए थे।  कोलंबिया में हिप्पो का कोई नेचुरल शिकारी नहीं है और बायोडायवर्सिटी के लिए एक बड़ी समस्या है क्योंकि उनके मल से नदियों का पानी दूषित होता है। जबजी पिछले साल ही कोलंबिया की सरकार ने उन्हें एक जहरीली आक्रामक प्रजाति घोषित किया था।

वहीं एंटिओक्विया के पर्यावरण मंत्रालय में पशु संरक्षण और कल्याण निदेशक लीना मार्सेला डे लॉस रिओस मोरालेस ने कहा कि हिप्पोज को भारत और मैक्सिको ले जाने की योजना एक साल से बन रही है। 150 किमी दूर रियोनेग्रो शहर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ट्रक से भेजा जाएगा, जहां से लोहे के कंटेनरों में भोजन के साथ ले भारत और मैक्सिको ले जाया जाएगा। डी लॉस रियोस ने कहा है कि हिप्पो को एयरलिफ्ट और कंटेनर का खर्चा कोलंबिया उठाएगा। इसमें से 60 से ज्यादा हिप्पो गुजरात के ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन किंगडम भेजे जाएंगे। जबकि करीब 10 हिप्पो सिनालोआ में स्थित ओस्टोक जैसे मेक्सिको के चिड़ियाघरों और अभयारण्यों में जाएंगे।

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