वॉशिंगटन। भारत की मदद में देरी करने पर फजीहत करवाने के बाद अब अमेरिका को होश आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति, विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, विदेश सचिव समेत कई नेता अब भारत के प्रति संवेदना जता तत्काल मदद की कसमें खा रहे हैं। जो बाइडन ने कोविड वैक्सीन निर्माण में उपयोग होने वाले कच्चे माल के निर्यात पर लगी पाबंदी खत्म करने का ऐलान किया है। लेकिन, अमेरिका के इस अड़ियल रवैये का सबसे बड़ा फायदा उसके दो सबसे बड़े दुश्मन रूस और चीन को मिला है। इन दोनों देशों ने तत्काल भारत को मदद का ऑफर कर लोगों के दिलों में अमेरिका के प्रति नफरत और अपने लिए प्यार पैदा कर दिया।
कोरोना वायरस महामारी से अमेरिका भी जूझ रहा है। पैसे और पावर के दम पर अमेरिका ने पहले ही अपने लोगों के लिए दुनियाभर की शीर्ष वैक्सीन निर्माताओं से अपने सभी नागरिकों के लिए तीन-तीन डोज रिजर्व रखी हुई है। घरेलू स्तर पर वैक्सीनेशन तेज करने और वैक्सीन निर्माता कंपनियों को कच्चे माल की आपूर्ति बनाए रखने के लिए बाइडन ने पहले अपने देश को प्राथमिकता दी। इस दौरान वे यह भूल गए कि वैश्विक कूटनीति में अहमियत बनाए रखने के लिए दोस्तों की मदद करना कितना जरूरी होता है।
अघोषित रूप से जो बाइडन को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अपेक्षा भारत की मोदी सरकार से ज्यादा लगाव नहीं है। इस समय इंडो पैसिफिक क्षेत्र में बने हालात और चीन को काउंटर करने के लिए अमेरिका को भारत की जरूरत है। यही कारण है कि न चाहते हुए भी बाइडन को भारत का साथ देना पड़ रहा है।