एक नवीनतम वैश्विक रिपोर्ट में पाकिस्तान में नागरिक स्वतंत्रता के संबंध में गंभीर चिंता व्यक्त की गई। यह रिपोर्ट दुनिया भर में सिविल सोसाइटी को मजबूत करने के लिए काम कर रहे नागरिक समाज संगठनों और कार्यकर्ताओं के एक ग्लोबल गठबंधन ने सोमवार को जारी की।
पाकिस्तान को अपनी निगरानी सूची में शामिल करने का कारण बताते हुए सिविकस ने कहा कि देश में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों को निशाना बनाए जाना, मानवाधिकार आंदोलनों, विरोध प्रदर्शनों पर कार्रवाई और डिजिटल प्रतिबंध इसकी वजह है।
सिविकस मॉनिटर की ‘मानवाधिकार निगरानी सूची 2025’ के अनुसार, पाकिस्तान की स्थिति अब ‘दमित’ के रूप में वर्गीकृत है, जिसका अर्थ है कि देश में सिविक स्पेस काफी सीमित है।
सिविकस ने आतंकवाद विरोधी अधिनियम का भी जिक्र किया, जिसका इस्तेमाल मौजूदा पाकिस्तानी शासन ने वर्ष 2024 के दौरान पश्तून तहफुज आंदोलन पर प्रतिबंध लगाने के लिए किया था।
रिपोर्ट में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों और अन्य दलों के खिलाफ आरोपों, कार्रवाइयों और हमलों को राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा बताया गया है।
रिपोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम अधिनियम (पीईसीए) के तहत पत्रकारों को निशाना बनाए जाने का भी उल्लेख किया गया, जिन पर राज्य संस्थाओं के खिलाफ झूठी कहानियां फैलाने का आरोप है।
सिविकस ने कहा, “विपक्ष और जातीय अल्पसंख्यक समूहों के विरोध प्रदर्शनों पर कार्रवाई, पत्रकारों को निशाना बनाया जाना और डिजिटल प्रतिबंध, पाकिस्तान के अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों के अनुरूप नहीं हैं। वे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति द्वारा की गई सिफारिशों के भी खिलाफ हैं।”
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