अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 25% आयात शुल्क का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि इससे भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर में 50 से 60 बेसिस पॉइंट (0.5%-0.6%) तक की गिरावट आ सकती है, जिससे विकास दर 6% से नीचे फिसल सकती है।
फिलहाल भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.5% GDP वृद्धि का अनुमान जताया है, जबकि वित्त मंत्रालय ने 6.3% से 6.8% के बीच ग्रोथ की उम्मीद जताई थी। लेकिन ट्रंप प्रशासन के इस टैरिफ फैसले और रूस के साथ भारत के व्यापार पर संभावित अतिरिक्त प्रतिबंधों से यह अनुमान कमजोर पड़ सकता है।
SBI और अन्य एजेंसियों ने जताई चिंता
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 20% टैरिफ से GDP में 0.5% की गिरावट संभव है, और 25% टैरिफ से यह गिरावट 0.62% तक पहुंच सकती है। यानी भारत की आर्थिक वृद्धि दर घटकर लगभग 5.87% रह सकती है।
SBI के अनुसार, हर 1% टैरिफ वृद्धि से भारत के निर्यात में औसतन 0.5% की गिरावट आती है। ऐसे में 25% टैरिफ का मतलब लगभग 12.5% तक का निर्यात नुकसान हो सकता है। यह भारत के लिए गंभीर झटका होगा, क्योंकि अमेरिका उसका सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है।
एजेंसियों के अनुमान:
ऑस्ट्रेलिया की ANZ बैंक के अर्थशास्त्रियों धीरज निम और संजय माथुर ने कहा कि यदि यह टैरिफ पूरे साल लागू रहा, तो इससे भारत की GDP में 40 बेसिस पॉइंट की गिरावट संभव है। बार्कलेज ने 30 बेसिस पॉइंट की गिरावट का अनुमान लगाया है, जबकि नोमुरा ने 20 बेसिस पॉइंट का प्रभाव बताया है।
नोमुरा की रिपोर्ट के अनुसार, भारत पर प्रभावी टैरिफ दर करीब 20% के आसपास रह सकती है, क्योंकि कुछ सेक्टरों को छूट मिलने की संभावना है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि 25% की दर अस्थायी हो सकती है और 15-20% के बीच स्थिर हो सकती है, लेकिन यह भी भारत के लिए निराशाजनक है, खासकर तब जब व्यापार वार्ताएं एक उन्नत स्तर पर थीं।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और भविष्य के संकेत
ट्रंप प्रशासन का यह कदम अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों में बढ़ती तनातनी को दर्शाता है। ट्रंप पहले भी भारत की रूस से नजदीकी और हथियारों की खरीद पर नाराजगी जता चुके हैं और भारत को व्यापार प्रतिबंधों की चेतावनी दे चुके हैं।अगर यह टैरिफ नीति लंबी अवधि तक जारी रहती है, तो भारत को अपने निर्यात संरचना और बाज़ार रणनीति में व्यापक बदलाव करने होंगे। सरकार के सामने चुनौती अब केवल आर्थिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक भी है।
ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार प्रणाली में एक बार फिर उथल-पुथल मचा दी है। आने वाले हफ्तों में अमेरिका के साथ होने वाली वार्ताएं तय करेंगी कि भारत पर यह आर्थिक दबाव अस्थायी रहेगा या स्थायी।
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