पुरुषों के लिए बलिदान दिया : हमारी परंपरा में केवल महिलाओं ने पुरुषों के लिए बलिदान दिया है, लेकिन यह समय है कि पुरुषों को महिलाओं के लिए उचित बलिदान देने के लिए कहा जाए, इस मुद्दे पर चर्चा की गई। इस पर राष्ट्रपति ने कहा कि शक्ति के बिना शिव अधूरे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि राधा और कृष्ण और राम और सीता के बीच अलगाव के वर्णन हैं, लेकिन शिव हमेशा शक्ति के साथ हैं क्योंकि शक्ति के बिना शिव एक लाश बन जाते हैं।
पुरुषों और महिलाओं दोनों को कंधे से कंधा..: हमें 50-50 के सिद्धांत को समझना चाहिए, राष्ट्रपति ने कहा। जब दो भाग आपस में मिलते हैं तो एक पूर्ण आकार बनता है। उन्होंने स्त्री-पुरुष के सम्बन्ध की मानव शरीर से तुलना करते हुए यह प्रश्न उठाया कि यदि शरीर का कोई अंग निष्क्रिय या निर्जीव हो जाए तो क्या पूरा शरीर कोई कार्य कर सकता है? चाहे आर्थिक प्रगति का लक्ष्य हो, राष्ट्रपति ने कहा कि समाज कल्याण लक्ष्य हो या जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे हर क्षेत्र में प्रभावी कदम उठाने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों को कंधे से कंधा मिलाकर लड़ना होगा।
महिलाओं को राष्ट्रपति के अंगरक्षक…: समीर जैन ने इस चर्चा के दौरान समाज में महिलाओं की अग्रणी भूमिका पर जोर दिया। इस बार उन्होंने राष्ट्रपति को सुझाव दिया कि महिलाओं को राष्ट्रपति के अंगरक्षक में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे समाज में बहुत प्रभावी संदेश जाएगा। अब इस सुझाव को लागू करने का अच्छा समय है, क्योंकि देश में एक बार फिर राष्ट्रपति के रूप में एक महिला है। जैन ने आगे कहा कि यह पहल महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिए एक मिसाल कायम करेगी।
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