भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंध गंभीर तनाव के दौर से गुजर रहें हैं। बांग्लादेश ने भारत में अपने उच्चायुक्त एम. रियाज हमीदुल्लाह को ढाका वापस बुला लिया है। इसे आधिकारिक तौर पर परामर्शात्मक वापसी (consultative recall) बताया गया है, लेकिन कूटनीतिक हलकों में इस कदम को दोनों देशों के रिश्तों में आई ताज़ा गिरावट के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। बता दें की मुहम्मद यूनुस के सत्ता संभालने के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्ते में दरारें तेजी से बढ़ी है।
बांग्लादेश के उच्चायुक्त की वापसी की जानकारी बांग्लादेश के प्रमुख दैनिक प्रथम आलो ने कूटनीतिक सूत्रों के हवाले से दी। रिपोर्ट के अनुसार, एम. रियाज हमीदुल्लाह को नई दिल्ली से तत्काल ढाका लौटने का निर्देश दिया गया, जिसके बाद वे रविवार (28 दिसंबर)देर रात बांग्लादेश पहुंचे। औपचारिक तौर पर बांग्लादेश सरकार का कहना है कि उन्हें हालिया घटनाक्रमों पर विचार-विमर्श और ब्रीफिंग के लिए बुलाया गया है।
हालांकि, कूटनीतिक प्रचलन में इस तरह की वापसी को अक्सर संबंधों में बढ़ते मतभेद, असंतोष या नीति पर पुनर्विचार की आवश्यकता के संकेत के रूप में देखा जाता है। बीते कुछ हफ्तों में भारत और बांग्लादेश के बीच लगातार “टिट-फॉर-टैट” यानी जवाबी कूटनीतिक कदम देखने को मिले हैं, जिनमें एक-दूसरे के दूतों को तलब कर विरोध दर्ज कराना शामिल है।
भारत-बांग्लादेश संबंधों में यह तनाव अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से लगातार बढ़ा है। हाल के दिनों में हालात और अधिक जटिल हो गए हैं। भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर “गहरी चिंता” जताई है, खासतौर पर मयमनसिंह में एक हिंदू युवक की जिहादी भीड़ द्वारा निर्दयता से पीटपीटकर हत्या की घटना के बाद भारत की और से कड़ी आलोचना की गई।
इसके जवाब में ढाका ने भारत के उच्चायुक्त को तलब कर नई दिल्ली और सिलीगुड़ी में बांग्लादेशी मिशनों के बाहर हुए कथित प्रदर्शनों पर आपत्ति जताई। बांग्लादेश का आरोप है कि ये प्रदर्शन उग्रवादी समूहों द्वारा किए गए, जबकि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के रूप में बैठे सलाहकार मुहम्मद यूनुस के फैसले से ही बांग्लादेशी की चरमपंथी जमात-ए-इस्लामी जैसी संस्थाओं पर से प्रतिबंध हटाए गए। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर आए दिन इस्लामी कट्टरपंथियों के उत्पात को संरक्षण देने अल्पसंख्यंकों के हमलों को छुपाने के आरोप लग रहें है। हाल ही में बांग्लादेश के बड़े अखबारों के कार्यालयों को निशाना बनाते हुए कट्टरपंथियों ने उन्हें आग के हवाले कर दिया था।
भारत-बांग्लादेश के बीच तनाव केवल औपचारिक विरोध तक सीमित नहीं है। बांग्लादेश भारत से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग भी कर रहा है, जो फिलहाल भारत में हैं। दोनों देशों के बीच वीज़ा सेवाओं का आंशिक निलंबन, सार्वजनिक बयानों में बढ़ती तल्खी और लगातार राजनयिक खींचतान ने हालात को और संवेदनशील बना दिया है। ऐसे में उच्चायुक्त की यह वापसी सामान्य प्रक्रिया से अधिक, आने वाले समय में रिश्तों के और कठिन चरण की तैयारी के रूप में देखी जा रही है।
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