प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने पिछले महीने दिल्ली में हुई बैठक में वर्ष के अंत तक भारत-यूरोपीय एफटीए को शीघ्र पूरा करने पर सहमति व्यक्त की थी।
वॉन डेर लेयेन ने अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान कहा, “यूरोपीय संघ और भारत के बीच एफटीए ‘दुनिया में कहीं भी हुआ’ इस तरह का सबसे बड़ा समझौता होगा। मैं अच्छी तरह जानती हूं कि यह आसान नहीं होगा। लेकिन मैं यह भी जानती हूं कि समय और दृढ़ संकल्प मायने रखता है और यह साझेदारी हम दोनों के लिए सही समय पर आई है।”
उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत सभी देशों के विरुद्ध बड़े पैमाने पर टैरिफ लगा रहे हैं, जिससे वैश्विक व्यापार पर असर हो सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी और यूरोपीय यूनियन के अध्यक्ष ने अपनी-अपनी वार्ता टीमों को संतुलित, महत्वाकांक्षी और परस्पर लाभकारी एफटीए के लिए बातचीत को आगे बढ़ाने का काम सौंपा।
अधिकारियों से कहा गया कि वे बाजार पहुंच बढ़ाने और व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए भरोसेमंद साझेदारों के रूप में काम करें। उन्हें निवेश संरक्षण और ज्योग्राफिकल इंडिकेशंस पर समझौते पर बातचीत को आगे बढ़ाने का काम भी सौंपा गया।
यूरोपीय यूनियन चाहता है कि भारत कार, वाइन और व्हिस्की के साथ-साथ कुछ कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करे। दूसरी ओर, भारत चाहता है कि उसे बाजार में ज्यादा पहुंच मिले और फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल और परिधान सहित प्रमुख निर्यातों पर टैरिफ कम लगे।
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