कहा जाता है कि 2025 तक भारत में करीब 71.7 फीसदी पैसों का लेन-देन ऑनलाइन किया जा सकता है।
Team News Danka
Published on: Thu 26th May 2022, 02:48 PM
इस समय पूरी दुनिया डिजिटल पेमेंट पर चल रही है। 2013 तक, भारत में डिजिटल भुगतान का अधिक प्रसार नहीं हुआ था। हालांकि, 2014 में मोदी सरकार देश में पहली बार सत्ता में आई और देश में डिजिटल भुगतान को गति मिली। तब से 8 वर्षों में भारत डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में नंबर एक बन गया है। डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में भारत ने कई देशों को पीछे छोड़ दिया है।
भारत में भी 2014 से पहले डिजिटल भुगतान की सुविधा थी। हालांकि, जन जागरूकता की कमी के कारण बहुत कम लोग ही इस सुविधा का लाभ उठा पा रहे थे। मनी लॉन्ड्रिंग से टैक्स चोरी का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जब 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आई तो मोदी सरकार ने सबसे पहला काम डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए किया।आठ साल बाद इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। वर्तमान में भारत में एक बड़ा वर्ग डिजिटल भुगतान का उपयोग करता है। डिजिटल मनी ट्रांजेक्शन के बढ़ने से टैक्स चोरी पर काफी अंकुश लगा है।
मोदी सरकार के इन आठ सालों में करीब 45 करोड़ जनधन खाते खोले गए। जनधन बैंक के इस खाते ने डिजिटल पेमेंट सिस्टम को और मजबूत किया। वित्तीय वर्ष 2020-21 में करीब 5 हजार 554 करोड़ रुपये का डिजिटल लेन-देन किया गया। वित्त वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा बढ़कर 7,422 करोड़ रुपये हो गया है।
भारत ने डिजिटल भुगतान में चीन, दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है। 2020 तक, भारत डिजिटल भुगतान में चीन से आगे निकल गया था। पिछले साल, भारत में डिजिटल लेनदेन चीन की तुलना में 2.6 गुना अधिक था। कहा जाता है कि 2025 तक भारत में करीब 71.7 फीसदी पैसों का लेन-देन ऑनलाइन किया जा सकता है। पेशेवर वर्तमान में यूपीआई यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस के माध्यम से लेनदेन कर रहे हैं, जिसे मोदी सरकार ने 2016 में लॉन्च किया था।