भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement – FTA) पर हस्ताक्षर हुए, जिसने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को एक नई दिशा दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री केयर स्टारमर दोनों ने इस समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए इसे दोनो देशों के व्यापार, रोजगार और जीवन स्तर को नई ऊँचाई देने वाला कदम बताया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस समझौते को लेकर कहा, “मुझे खुशी है कि वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद, हमारे दोनों देशों ने एक व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।” वहीं ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने इसे ऐसा समझौता बताया जो “व्यवसाय के लिए लाभदायक है, नौकरियों को बढ़ावा देगा और दोनों देशों के नागरिकों की जेब में अधिक पैसा डालेगा।” यह समझौता भारत के लिए बेहद अहम इसलिए बन गया है क्योंकि इसके बाद भारतीय निर्यातकों को UK बाजार में अब 99 प्रतिशत उत्पादों पर शून्य शुल्क देना होगा। इससे भारतीय उत्पाद न केवल सस्ते होंगे, बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में चीन, बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों पर भारी भी पड़ेंगे।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत अब ब्रिटेन के उन उद्योगों में अपना दबदबा बढ़ा सकता है जिनमें पहले चीन और बांग्लादेश को बढ़त हासिल थी। इनमें रेडीमेड गारमेंट्स, घरेलू कपड़े, हस्तशिल्प, कालीन, रत्न-आभूषण, चमड़े के उत्पाद और पारंपरिक वस्त्र जैसे कांचीपुरम और बंधनी साड़ियां शामिल हैं। अकेले टेक्सटाइल सेक्टर में 1,143 उत्पाद ऐसे हैं, जो अब UK को ड्यूटी-फ्री निर्यात किए जा सकेंगे।
ब्रिटेन में अभी भारत की हिस्सेदारी कुल आयात में मात्र 2% है। लेकिन अब केंद्र सरकार का लक्ष्य 2030 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 55 अरब डॉलर से बढ़ाकर 120 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। FTA का एक और बड़ा फायदा यह है कि भारत के लेदर फुटवियर, विशेष रूप से कोल्हापुरी चप्पल, स्पोर्ट्स शूज़ और पारंपरिक जूते अब UK में चीन और वियतनाम की तुलना में कहीं अधिक प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उपलब्ध होंगे। इसके अलावा, दवाइयों, जनरल मेडिसिन, एक्स-रे और ECG मशीनों, कैमिकल्स और प्रोसेस्ड फूड जैसे क्षेत्रों में भी भारत को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है।
FTA के जरिए भारत की हिस्सेदारी अब UK के $30 बिलियन फार्मा इंपोर्ट मार्केट में भी बढ़ सकती है, जहां 2024 तक भारत की हिस्सेदारी केवल $1 बिलियन रही है। इसी तरह कैमिकल उत्पादों की श्रेणी में भारत ने 2024 में UK को $570 मिलियन का निर्यात किया था, जिसे अब सरकार 30-40% तक बढ़ाना चाहती है।
इस समझौते से भारत को बढ़त मिलेगी, साथ ही चीन, बांग्लादेश, वियतनाम, पाकिस्तान, इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे प्रतिस्पर्धियों को नुकसान झेलना पड़ेगा। उदाहरण के लिए, चीन ने 2024 में UK को $248.5 मिलियन के मशीन पार्ट्स निर्यात किए, वहीं भारत ने $215.3 मिलियन। अब भारत उस अंतर को पाट सकता है क्योंकि चीनी माल पर जो टैक्स लगता था, वह अब भारतीय उत्पादों पर नहीं लगेगा।
बांग्लादेश की करीब 7.6% UK निर्यात, विशेष रूप से कपड़ा और चमड़ा क्षेत्र, इस समझौते के चलते प्रभावित हो सकती है। वहीं पाकिस्तान के 15% तक निर्यात, खासकर मसाले, मछली और जूते, भारत के बढ़ते हिस्से की भेंट चढ़ सकते हैं। वियतनाम और थाईलैंड की प्रोसेस्ड फूड और बेकरी उत्पादों की निर्यात प्रतिस्पर्धा भी भारत के पक्ष में झुक सकती है।
सरकार इसे मेक इन इंडिया अभियान के लिए जीत के रूप में देख रही है। इससे भारतीय उद्योगों को वैश्विक बाज़ार में नई संभावनाएं मिलेंगी और घरेलू रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी। संक्षेप में कहें तो यह व्यापार समझौता भारत के लिए न केवल एक आर्थिक वरदान है, बल्कि एक रणनीतिक अवसर भी है, जिससे वह एशिया के अन्य निर्यातकों को मात देकर ब्रिटेन जैसे बड़े और समृद्ध बाज़ार में अपने उत्पादों की मजबूत पकड़ बना सकता है।
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