भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को और गहराई देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। दोनों देशों ने शुक्रवार को 10 वर्षीय रक्षा ढांचा समझौते (Defence Framework Agreement) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता भारत-अमेरिका के बीच बढ़ती सामरिक साझेदारी को एक नई ऊंचाई पर ले जाने वाला माना जा रहा है।
अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ वॉर पीट हेगसेथ (Pete Hegseth) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी दी कि उन्होंने भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर इस समझौते को औपचारिक रूप दिया। उन्होंने कहा कि यह नया फ्रेमवर्क दोनों देशों के बीच समन्वय, सुचना साझाकरण और तकनीकी सहयोग को और मजबूत करेगा।
हेगसेथ ने कहा, “इससे हमारी रक्षा साझेदारी को बढ़ावा मिलता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और प्रतिरोध की आधारशिला है।हम अपने समन्वय, सूचना साझाकरण और तकनीकी सहयोग को बढ़ा रहे हैं। हमारे रक्षा संबंध पहले कभी इतने मज़बूत नहीं रहे।”
कुछ दिन पहले ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से 27 अक्टूबर को कुआलालंपुर में मुलाकात की थी। उस बैठक में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने, क्षेत्रीय व वैश्विक चुनौतियों से निपटने, और विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ते सहयोग पर चर्चा की थी।
I just met with @rajnathsingh to sign a 10-year U.S.-India Defense Framework.
This advances our defense partnership, a cornerstone for regional stability and deterrence.
We're enhancing our coordination, info sharing, and tech cooperation. Our defense ties have never been… pic.twitter.com/hPmkZdMDv2
— Secretary of War Pete Hegseth (@SecWar) October 31, 2025
जयशंकर ने बाद में X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि उन्हें दोनों देशों के संबंधों और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करना सार्थक और रचनात्मक लगा। उनके बयान से स्पष्ट हुआ कि भारत-अमेरिका साझेदारी लगातार मजबूत हो रही है और दोनों देश उच्च-स्तरीय कूटनीतिक और रक्षा संवाद के ज़रिए आपसी विश्वास बढ़ा रहे हैं।
यह रक्षा समझौता ऐसे समय पर हुआ है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता (trade talks) भी चल रही हैं। इस पृष्ठभूमि में यह नई रक्षा साझेदारी दोनों देशों के बीच रणनीतिक संवाद (strategic dialogue) को और गहराई देने वाली है।
हाल ही में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि भारत किसी भी व्यापारिक समझौते में जल्दबाज़ी नहीं करेगा और न ही ऐसे प्रावधान स्वीकार करेगा जो देश की आर्थिक स्वतंत्रता को सीमित करें। उन्होंने ज़ोर दिया कि व्यापार समझौते सिर्फ़ शुल्क या बाज़ार पहुंच तक सीमित नहीं होते, बल्कि विश्वास, दीर्घकालिक सहयोग और स्थायी आर्थिक ढांचे की नींव रखते हैं।
भारत का यह रुख दिखाता है कि नई दिल्ली वैश्विक साझेदारियों में भागीदारी बढ़ा रही है, लेकिन अपनी आर्थिक आत्मनिर्भरता (self-reliance) और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देती रहेगी।
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