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Tuesday, March 4, 2025
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भारत करेगा द्विपक्षीय निवेश संधि में सुधार, विदेशी निवेश को मिलेगा बढ़ावा: सीईए नागेश्वरन

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भारत विदेशी निवेश को आकर्षित और संरक्षित करने के लिए अपने द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) ढांचे में बदलाव करेगा। यह संशोधन राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए वैश्विक निवेश परिवेश के अनुरूप किया जाएगा। यह जानकारी मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी.अनंत नागेश्वरन ने मंगलवार को दी।

‘मेकिंग इंडिया इन्वेस्टमेंट फ्रेंडली’ विषय पर आयोजित पोस्ट-बजट सेमिनार में नागेश्वरन ने बताया कि बीआईटी ढांचे में पिछले दस वर्षों से कोई बदलाव नहीं हुआ है, जबकि वैश्विक निवेश प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय कानूनों में कई अहम परिवर्तन हुए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस अपडेट की आवश्यकता है ताकि भारत निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बन सके। उन्होंने कहा, “नया बीआईटी मॉडल वैश्विक निवेश माहौल की आवश्यकताओं के अनुसार अधिक लचीला और अनुकूल होगा।”

मुख्य आर्थिक सलाहकार के अनुसार, यह संशोधित ढांचा निवेशकों, खासकर भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में निवेश करने वालों को अधिक सुरक्षा प्रदान करेगा। साथ ही, यह सुनिश्चित करेगा कि भारत विदेशी निवेश, विशेषकर मध्यम आकार के उद्यमों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बना रहे।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी 2025-26 के बजट भाषण में बीआईटी ढांचे को अधिक निवेशक-अनुकूल बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ भारत के संप्रभु अधिकारों और नियामक स्वायत्तता के बीच संतुलन बनाए रखने की महत्ता पर प्रकाश डाला।

नागेश्वरन ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए प्रत्यक्ष और पोर्टफोलियो दोनों प्रकार के विदेशी निवेश महत्वपूर्ण हैं, खासकर जब देश चालू खाता घाटे की स्थिति का सामना कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि नया बीआईटी मॉडल निवेशकों की चिंताओं को दूर करने, कानूनी सुरक्षा को मजबूत करने और भारत को दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए और भी आकर्षक निवेश गंतव्य बनाने में मदद करेगा।

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