भारत की विदेश नीति बहुत सफल रही है। पश्चिम एशिया और मध्य पूर्व के देशों में भारत का जादू दिखने लगा है। हाल ही में भारत और अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई। इस चर्चा में तालिबान सरकार ईरान के चाबहार बंदरगाह में 3.5 करोड़ रुपये निवेश करने पर सहमत हो गई है| साथ ही तालिबान सरकार अब चाबहार बंदरगाह के जरिए अपना व्यापार करना चाहती है|
अब तक अफगानिस्तान के साथ व्यापार पाकिस्तान के बंदरगाह से हो रहा था| इससे अब पाकिस्तान की नींद उड़ गई है| भारत की पारी से पाकिस्तान विशेषज्ञ टेंशन में आ गए हैं|पाकिस्तानी विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ये भारत की कूटनीति की बड़ी जीत है|
पाकिस्तान को नुकसान होगा: पाकिस्तान के रक्षा और अफगानिस्तान विशेषज्ञ कमर चीमा का कहना है कि विदेश मंत्री एस. यह जयशंकर की नीतियों की अधिकतम सीमा है|इससे तालिबान सरकार की पाकिस्तान पर निर्भरता कम हो जाएगी|इस वजह से अफगानिस्तान से चाबहार में निवेश किया जा रहा है|ईरान और भारत अफगानिस्तान को बहुत कुछ दे रहे हैं|इस्लामाबाद और तालिबान के बीच चल रहे तनाव से पाकिस्तान को नुकसान होगा|साथ ही पाकिस्तान टीटीपी चरमपंथ को लेकर तालिबान सरकार पर दबाव नहीं बना पाएगा|
आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगा अफगानिस्तान: चाबहार बंदरगाह में निवेश कर अफगान सरकार ने पाकिस्तान की जगह भारत को अपना दोस्त चुना है| इससे पाकिस्तान के सामने संकट खड़ा हो गया है|टीटीपी के आतंकी पाकिस्तानी सेना पर हमले कर रहे हैं,लेकिन अफगानिस्तान उन उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा है| अब जब तालिबान पाकिस्तान पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है तो वह अब उनकी नहीं सुनेगा| साथ ही पाकिस्तान के सामने एक विकल्प बंद होने की भी संभावना नजर आ रही है|
चीन भी पाकिस्तान में अपने निवेश से परेशान हो चुका है| जैसे-जैसे तालिबान पाकिस्तान से दूर जा रहा है, पाकिस्तान को और अधिक संकट का सामना करना पड़ेगा। पहले से ही मुसीबत में फंसे पाकिस्तान को और मुसीबत का सामना करना पड़ेगा|
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