‘सदगुरु’ जग्गी वासुदेव के ‘ईशा फाउंडेशन’ के कोयंबटूर आश्रम की मंगलवार को पुलिस ने तलाशी ली| डॉ.एस.कामराज ने मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि उनकी दो बेटियों को आश्रम में रखा गया है| कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी अपराधों का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की| अब इस कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है| साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई पर रोक लगाने का फैसला किया है|
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “आप ऐसे संस्थानों में पुलिस या सेना को घुसपैठ नहीं करा सकते।” उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट उन दो महिलाओं से ऑनलाइन बातचीत करेगा, जिनसे यह मामला जुड़ा है|
मंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में 150 पुलिसकर्मियों ने कोयंबटूर में जग्गी वासुदेव के आश्रम पर छापा मारा। एस.कामराज ने हाईकोर्ट में ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ याचिका दायर की और ईशा फाउंडेशन पर गंभीर आरोप लगाए।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि उनकी दो बेटियों गीता कामराज उर्फ मां माथी (42) और लता कामराज उर्फ मां मयू (39) को आश्रम में बंद कर दिया गया और उन्हें संन्यास लेने के लिए मजबूर किया गया| उन्होंने यह भी कहा कि परिवार को दोनों लड़कियों से संपर्क करने की इजाजत नहीं है|
ईशा फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी पेश हुए| चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने सुनवाई के दौरान रोहतगी ने कहा कि आश्रम का काम बेदाग है और अब तक कोई शिकायत नहीं आई है| जिन दो महिलाओं पर आश्रम में जबरन रखे जाने का आरोप था, वे खुद मद्रास हाई कोर्ट में पेश हुईं और शरण्ये कहा कि वे अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही थीं| केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि मद्रास हाई कोर्ट को ऐसा आदेश देते समय अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी|
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