नई दिल्ली। बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर पर हुए हमले को लेकर इस्कॉन के नेशनल कम्युनिकेशन डायरेक्टर व्रजेंद्र नंदन दास ने बांग्लादेश की सरकार से इस मामले में शामिल आरोपियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटना भविष्य में न दोहराई जाएं। उन्होंने कहा कि मदद के लिए पुलिस से शिकायत की गई लेकिन वह मदद के लिए नहीं आई। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
डायरेक्टर व्रजेंद्र नंदन दास ने कहा, ‘बांग्लादेश में जो कुछ भी हो रहा वह गलत है. एक बात मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि वे न तो आतंकवादी थे और न ही गुंडे, बल्कि वे बहुसंख्यक समुदाय के लोग थे। हमारे शिष्य मदद के लिए रो रहे थे, यहां तक कि पुलिस को भी बुलाया लेकिन वे नहीं आए। पुलिस तब पहुंची जब हिंसा, तोड़फोड़ और हंगामा खत्म हो गया। ’ दास ने कहा कि बांग्लादेश में बहुसंख्यक समुदाय जब भी हिंदू त्योहार होते हैं तो हंगामा करते हैं। दास ने कहा, ‘उन्होंने हमारे दो शिष्यों को मौके पर ही मार डाला।वहीं, एक और शिष्य का शरीर मंदिर के पास एक तालाब से बरामद किया गया। वह एक अच्छा भक्त था, मैंने उसकी पिछली तस्वीरें देखीं, वह एक खुश रहने वाला भक्त था। वे उसे ले गए और बेरहमी से मार डाला। झील से उसके शव को बरामद किया गया।
यह वास्तव में दुखद है। बांग्लादेश में हुई यह पहली घटना नहीं है, इस तरह की घटनाएं लंबे समय से हो रही हैं। जब भी हिंदू त्योहार होते हैं, बांग्लादेश में बहुसंख्यक समुदाय हंगामा करते हैं।’ दास ने आगे कहा कि इस्कॉन प्रभुपाद जी की 125वीं जयंती मना रहा है और उनकी प्रतिमा को तोड़ा गया है। उन्होंने कहा, ‘यह घटना निंदनीय है। पूरी दुनिया में इस्कॉन हिंदू समुदाय, सनातन धर्म और संस्कार को बढ़ावा दे रहा है। हम इस्कॉन के प्रभुपाद जी (इस्कॉन के संस्थापक) की 125 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। उनकी प्रतिमा को तोड़ा गया, यह कितनी दुखद बात है। जो हो रहा है वह गलत है.’ उन्होंने आगे बांग्लादेशी सरकार को सांप्रदायिक घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई करने की सलाह दी जो इस तरह के बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा के लिए अपराधियों को रोकेंगे।
उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि यदि बांग्लादेशी सरकार पहले छोटे पैमाने की सांप्रदायिक घटनाओं का समाधान ढूंढती, तो यह बड़ी घटना आज नहीं होती। मैं बांग्लादेशी सरकार से कार्रवाई करने का आग्रह करता हूं कि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों।’ बता दें नवरात्र में दुर्गा पूजा पंडाल को कट्टरपंथियों द्वारा निशाना बनाए जाने के बाद शुक्रवार को इस्कॉन मंदिर पर हमला किया गया। इस हमले में इस्कॉन के दो सदस्यों को मारे जाने की नहीं खबर है।