प्रशांत कारुलकर
इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष दशकों से इस क्षेत्र में अस्थिरता का स्रोत रहा है। हिंसा का नवीनतम दौर, हाल ही में शुरू हुआ है और व्यापक संघर्ष की संभावना बढ़ गई है। इज़राइल और फ़िलिस्तीन में युद्ध का दुनिया पर कई अस्थिर प्रभाव पड़ा है। इससे मध्य पूर्व में तनाव में भारी वृद्धि हुई है। इससे व्यापक संघर्ष का खतरा बढ़ गया है, जिसमें ईरान और सऊदी अरब जैसे क्षेत्र के अन्य देश भी शामिल हो सकते हैं।
युद्ध ने वैश्विक शरणार्थी संकट को बढ़ा दिया है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि हिंसा शुरू होने के बाद से 15 लाख से अधिक लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। इससे लेबनान और जॉर्डन जैसे पड़ोसी देशों में संसाधनों पर दबाव पड़ा है। युद्ध का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। संघर्ष ने तेल आपूर्ति और व्यापार मार्गों को बाधित कर दिया है, जिससे ऊर्जा और अन्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई हैं। इसका दुनिया भर के व्यवसायों और उपभोक्ताओं पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
इजराइल और फिलिस्तीन में युद्ध भारत के लिए कई चुनौतियां खड़ी करता है। सबसे पहले, इस संघर्ष ने इज़राइल और फिलिस्तीन दोनों के साथ भारत के संबंधों को जटिल बना दिया है। भारत ने परंपरागत रूप से इज़राइल के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखा है, लेकिन यहां मुस्लिम आबादी भी अच्छी खासी है। युद्ध ने भारत को एक कठिन स्थिति में डाल दिया है, क्योंकि वह दोनों पक्षों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है।
दूसरा, युद्ध से भारत में आतंकवाद का ख़तरा बढ़ गया है। भारत अतीत में आतंकवादी हमलों का निशाना रहा है, और इज़राइल और फिलिस्तीन में युद्ध आतंकवादी समूहों को और अधिक प्रोत्साहित कर सकता है। भारत सरकार को अपने नागरिकों को आतंकवादी हमलों से बचाने के लिए सतर्क रहना होगा।
तीसरा, युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। संघर्ष ने भारत और मध्य पूर्व के बीच व्यापार और निवेश को बाधित कर दिया है। इससे भारतीय व्यवसायों को नुकसान हुआ है और नौकरियां चली गईं। भारत सरकार को युद्ध के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता होगी।
भारत सरकार ने इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष में युद्धविराम का आह्वान किया है और दोनों पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है। भारत ने संघर्ष के पीड़ितों को मानवीय सहायता प्रदान करने की भी पेशकश की है। भारत सरकार इजरायल और फिलिस्तीन दोनों के साथ अपने संबंध बनाए रखने के लिए भी काम कर रही है। इजराइल और फिलिस्तीन में युद्ध के भारत के लिए कई निहितार्थ हैं। इस संघर्ष ने दुनिया को अस्थिर कर दिया है, आतंकवाद का खतरा बढ़ गया है और भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। भारत सरकार संघर्ष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए काम कर रही है और युद्धविराम का आह्वान किया है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि संघर्ष जटिल है और इसका कोई आसान समाधान नहीं है। भारत को संघर्ष का स्थायी समाधान खोजने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करना जारी रखना होगा।
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