भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने के कारण भारतीय सामान पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्क को अनुचित और अव्यावहारिक करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। शनिवार (23 अगस्त) को उन्होंने कहा कि यह कदम न तो तार्किक है और न ही न्यायसंगत, और भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा हर हाल में करेगा। साथ ही उन्होंने यूरोपीय देशों के रूस तेल खरीद पर कहा है की अगर आपको भारत से तेल या पेट्रोलियम उत्पाद खरीदने में समस्या है, तो मत खरीदिए। कोई मजबूर नहीं कर रहा। यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है तो अगर पसंद नहीं है, मत खरीदिए।
अमेरिका ने पहले ही भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत शुल्क लागू कर दिया है और 27 अगस्त से अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगने वाला है। इस तरह कुल टैरिफ़ का बोझ 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा, जो वॉशिंगटन द्वारा किसी भी देश पर लगाए गए सबसे ऊँचे शुल्कों में से एक है।
जयशंकर ने पश्चिमी देशों के तर्कों को विरोधाभासी बताया। उन्होंने कहा, “जब लोग कहते हैं कि भारत रूस को फंड कर रहा है, तो क्या यूरोप का पैसा रूस के खजाने में नहीं जा रहा? रूस-यूरोप का व्यापार रूस-भारत व्यापार से कहीं बड़ा है। अगर ऊर्जा की बात करें तो यूरोप ही बड़ा खरीदार है। अगर व्यापार की बात करें तो यूरोप फिर भी हमसे बड़ा है। हमारे निर्यात रूस को बढ़े हैं, लेकिन उतने नहीं जितना बताया जा रहा है।”
भारत के रूसी तेल आयात पर आलोचना करने वालों को जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, “यह मज़ाकिया है कि एक प्रो-बिज़नेस अमेरिकी प्रशासन के लोग दूसरों पर कारोबार का आरोप लगाते हैं। अगर आपको भारत से तेल या पेट्रोलियम उत्पाद खरीदने में समस्या है, तो मत खरीदिए। कोई मजबूर नहीं कर रहा। यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है तो अगर पसंद नहीं है, मत खरीदिए।”
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत अपने राष्ट्रीय हित में फैसले लेने का पूरा अधिकार रखता है। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय हित में जो भी निर्णय हम लेते हैं, वह हमारा अधिकार है। यही असल में रणनीतिक स्वायत्तता का अर्थ है।”
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों बड़े देश हैं और संवाद जारी है। “लाइनें टूटी नहीं हैं, बातचीत हो रही है और देखेंगे कि आगे क्या होता है।” हालांकि, 25 से 29 अगस्त तक होने वाली अमेरिकी व्यापार वार्ताकारों की नई दिल्ली यात्रा रद्द कर दी गई है, जिससे यह उम्मीद टूट गई है कि अतिरिक्त शुल्क कम या टाला जा सकेगा। जयशंकर ने कहा, “वार्ता में हमारी कुछ लाल रेखाएँ हैं, जिन्हें हमें हर हाल में बनाए रखना और बचाना है।”
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