UNSC में होनी चाहिए भारत की स्थायी सदस्यता, बाइडेन ने महसूस की जरुरत

UNSC में होनी चाहिए भारत की स्थायी सदस्यता, बाइडेन ने महसूस की जरुरत
नई दिल्ली। पीएम मोदी और जो बाइडेन ने शुक्रवार को कई मुद्दों पर चर्चा की। इसमें जलवायु , कोरोना महामारी, व्यापार सहित कई गंभीर मसलों पर दोनों नेताओं के बैठक में द्विपक्षीय वार्ता की। बैठक के बाद विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को लगता है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो बाइडेन ने भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की हमारी अध्यक्षता की सराहना की।
 बाइडेन को भारत आने का न्योता : बता दें कि विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा के दूसरे दिन की विशेष प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। श्रृंगला ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की अध्यक्षता विशेष रूप से अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत के कदम की सराहना की गई। बाइडेन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह महसूस करते हैं कि सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।पीएम मोदी ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को भारत आने का न्योता दिया है।
 7 बार परिषद के एक अस्थायी सदस्य: राष्ट्रपति बाइडेन ने धन्यवाद और प्रशंसा के साथ इसका संज्ञान लिया है। भारत, विश्व निकाय के संस्थापक सदस्यों में से एक, वर्ष 1950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992  के दौरान 7 बार परिषद के एक अस्थायी सदस्य के रूप में चुना गया है। और सबसे हाल ही में 2011-2012 में। बता दें कि UNSC में 15 सदस्य होते हैं जिनमें 10 अस्थायी और 5 स्थायी सदस्य होते हैं। 193 सदस्यीय UNSC हर साल संयुक्त राष्ट्र में दो साल के कार्यकाल के लिए पांच गैर-स्थायी सदस्यों का चुनाव कराता है। इसके अलावा, परिषद के पांच स्थायी सदस्य हैं- चीन, फ्रांस, रूस, यूके और यूएस।
पाक-चीन के रवैये पर भी चिंता : जानकारों का कहना है कि मोदी और जो बाइडेन की मुलाकात से पाकिस्तान को आतंकवाद और कट्टरपंथ पर कठोर संदेश मिला है तो अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के नेतृत्व के साथ पीएम मोदी की चीन से उपजे खतरों पर विस्तृत चर्चा हुई है। खासतौर पर हिन्द प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण चीन सागर में चीन के मनमाने रवैये पर इन देशो की चिंता समान है। ऑकस को लेकर आशंकाओं को भी द्विपक्षीय बैठकों में दूर किया गया है। सूत्रों ने कहा, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने पीएम मोदी को बताया है कि ऑकस का मकसद किस तरह से अलग है और क्वाड के उद्देश्य में ये एक तरह से पूरक का काम करेगा।
आतंकवाद और तालिबान का मुद्दा छाया:  पीएम मोदी को द्विपक्षीय बैठकों में अफगानिस्तान का मुद्दा हावी रहा है। अफगानिस्तान में आतंकी संगठन तालिबान के कब्जे के बाद भारत की चिंता बढ़ती जा रही है। भारत ने सभी नेताओं के साथ बैठक में इस चिंता को साझा किया है। सूत्रों ने कहा भारत ने ये भी बताया है कि कैसे तालिबान को चीन और पाकिस्तान का साथ मिल रहा है, उससे भारत के लिए ही नहीं दुनिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अमेरिका ने भी भारत के इस रुख को स्वीकार किया है। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी बिजनेस सीईओ से मुलाकात को भारत की सप्लाई चेन की दिशा में बढ़ते प्रयास और व्यापार व निवेश की नई संभावनाओं से जोड़कर देखा जा रहा है। भारत को सप्लाई चेन के विकल्प के रूप में क्वाड देशों का समर्थन हासिल है।
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