हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार, भारत के रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में आने वाले वित्त वर्ष में नौकरियों में 18% तक की वृद्धि होने की संभावना जताई गई है। इस वृद्धि का प्रमुख कारण सरकार का 2030 तक 500 गीगावाट की गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता विकसित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है।
टीमलीज सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में विस्तार के कारण इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों में तेजी देखी जा रही है। पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस सेक्टर में नौकरियों में 23.7% की बढ़ोतरी हुई थी, जबकि 2022-23 में यह आंकड़ा 8.5% और 2021-22 में 10.4% था।
इस क्षेत्र में नौजवान पेशेवरों की भूमिका अहम बनी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड नौकरियों में 26-30 वर्ष के युवा 26.9% हिस्सेदारी रखते हैं, जबकि 31-35 वर्ष के कर्मचारी 27.9% हैं। वहीं, अनुभवी कर्मचारियों का भी योगदान महत्वपूर्ण है, जिनमें 35-40 वर्ष के 16% और 40 वर्ष से अधिक आयु के 18.2% कर्मचारी शामिल हैं।
देश में रिन्यूएबल एनर्जी हब के रूप में राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु उभर रहे हैं, जहां सबसे ज्यादा सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं। सरकार की विभिन्न योजनाएं, जैसे पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, पीएम कुसुम और सौर पीवी मॉड्यूल पीएलआई योजना, इस क्षेत्र के विकास में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं।
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टीमलीज सर्विसेज के मुख्य परिचालन अधिकारी सुब्बुराथिनम पी ने कहा कि भारत का रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर निर्णायक मोड़ पर है, जहां सरकारी नीतियों और कॉर्पोरेट निवेशों के चलते नौकरियों में तेजी आने की संभावना है। साथ ही, तकनीकी विशेषज्ञता और नई भूमिकाओं की मांग भी लगातार बढ़ रही है। रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में लगातार हो रहे बदलाव यह संकेत देते हैं कि आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र न केवल ऊर्जा उत्पादन में बल्कि रोजगार सृजन में भी अहम भूमिका निभाएगा।