ज्वाला नामक नामीबियाई चीता ने मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में तीन शावकों को जन्म दिया है। यह नामीबियाई चीता आशा द्वारा अपने शावकों को जन्म देने के कुछ ही सप्ताह बाद आया है। वहीं इन दो घटनाओं से चीता प्रोजेक्ट की सफलता पर उंगली उठती दिख रही है कि प्रोजेक्ट एक बार फिर सफलता की ओर बढ़ता नजर आ रहा है|
मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में मादा चीता आशा ने तीन शावकों को जन्म दिया। मार्च 2023 में मादा चीता ‘ज्वाला’ ने चार शावकों को जन्म दिया। अब केवल एक शावक जीवित है। चीता परियोजना के तहत 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आठ चीते और 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते भारत लाए गए। चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा गया।
इनमें नामीबियाई मादा चीता ‘ज्वाला’ ने 24 मार्च 2023 को चार शावकों को जन्म दिया। इनमें से तीन बछड़ों की मौत महज दो महीने में हो गई| 23 मई को एक और 25 मई को दो शावकों की मौत हो गयी| अब तक छह चीतों की भी मौत हो गई| इसके बाद इस प्रोजेक्ट पर काफी दबाव था| इनमें से कुछ चीतों को जंगल में छोड़ने का प्रयास किया गया, लेकिन कूनो की सीमा पार करने की कोशिश के बाद उन्हें वापस लाया गया।
इन सभी घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में, नामीबियाई चीता ‘आशा’ ने तीन शावकों को जन्म दिया है, और इस परियोजना को एक बार फिर सकारात्मक रूप से देखा जा रहा है। अब यह परियोजना सही दिशा में आगे बढ़ रही है क्योंकि ज्वाला ने भी तीन शावकों को जन्म दिया है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने भी कूनो में जन्मे इन तीनों शावकों का स्वागत किया है| उन्होंने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर कहा है कि यह चीता प्रोजेक्ट की सफलता है|
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