92 वर्षीय लता मंगेशकर का रविवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी में निधन हो गया। कई डॉक्टरों की देखरेख में उनका उपचार किया जा रहा था। शनिवार को उनकी तबीयत एक बार फिर बिगड़ने पर दोबारा उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया, लेकिन उनको बचाया नहीं जा सका। जिंदगी और मौत की जंग में अंतोगत्वा स्वर कोकिला लता मंगेशकर को मौत ने गले लगा लिया। उनके इस निधन से देश और समूचे विश्व में उनके करोड़ों प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गयी।
वैसे तो भारत रत्न से सम्मानित स्वर्गीय लता मंगेशकर का पूरा विश्व ही उनका परिवार था। लता मंगेशकर तीन बहनों और एक भाई में सबसे बड़ी थीं। इनके क़दमों पर चलकर ही लता की बहनों व भाई ने संगीत की दुनिया में अपना दायरा बढ़ाया। मशहूर पार्श्व गायिका लता मंगेशकर अपने माता-पिता की सबसे बड़ी संतान थीं।उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर मशहूर संगीतकार थे। उनकी माता का नाम शिवंती मंगेशकर था। शिवंती एक गृहणी महिला थीं। उनको गाने का शौक नहीं था। 84 वर्ष के हृदयनाथ मंगेशकर लता, मीना, आशा और उषा के सबसे छोटे और लाडले भाई हैं। उन्होंने भी संगीत की दुनिया में कदम रखा और संगीत निर्देशक के रूप में फिल्म जगत में खुद का लोहा मनवाया।
…सीमा से परे लताजी की गायिकी
वर्ष 1942 से गायन की शुरुआत करने वाली लता मंगेशकर 70 वर्षों से अधिक समय तक हिंदी सिनेमा में गायन के शीर्ष पर बनी रहीं और इसमें कोई शक नहीं कि उनके नहीं रहने के बावजूद उनकी आवाज पार्श्वगायन के शीर्ष पर बनी रहेगी। बाल अभिनेताओं के लिए उनकी आवाज सबसे बेहतर मानी जाती थी।
उन्होंने भजन भी गाए तो कैबरे नंबर गाने में भी संकोच नहीं किया।हिंदी सिनेमा के नायिकाओं की प्रतिष्ठित आवाज बनी रहीं। लताजी की यह सफलता ही है कि वे अपने व्यक्तित्व के बजाय कृतित्व के माध्यम से याद आती रहेंगी। फिल्मों में पार्श्व गायन का लता जी सफर वर्ष 1942 में शुरू हुआ। स्वर कोकिला लता जी के गीतों को किसी सूची में समेटना आसान तो नहीं, असंभव ही है। उनका हर गीत किसी न किसी रूप में विशिष्ट है।
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