सूरत की एक महिला से रेप के मामले में आसाराम को मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। आसाराम बापू को दुष्कर्म के एक मामले में गांधीनगर की अदालत ने दोषी ठहराया है। इससे पहले जोधपुर कोर्ट ने 25 अप्रैल, 2018 को आसाराम को यूपी की एक नाबालिग से रेप के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस केस में आसाराम की पत्नी समेत छह अन्य आरोपी थे। कोर्ट ने आसाराम को दोषी माना। आरोपियों में से एक की सुनवाई के दौरान मौत हो गई। कोर्ट ने बाकी पांच आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
दुष्कर्म का ये मामला आसाराम पर 2013 में दर्ज किया गया था। इस मामले में सेशन कोर्ट ने सबूतों के अभाव में 6 लोगों को बरी कर दिया है, जिसमें आसाराम की पत्नी और बेटी भी शामिल है। दरअसल साल 2013 में केस दर्ज हुआ था करीब 10 साल पहले आसाराम पर सूरत की एक महिला ने अहमदाबाद के मोटेरा स्थित उसके आश्रम में बार-बार दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। इस मामले में अहमदाबाद के चांदखेड़ा पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी।
एफआईआर के मुताबिक, महिला के साथ अहमदाबाद शहर के बाहर बने आश्रम में कई 2001 से 2006 के बीच कई बार दुष्कर्म किया गया था। महिला तब आसाराम के आश्रम में रह रही थी। मामले में पुलिस ने जुलाई 2014 में चार्जशीट दाखिल की थी। दो बहनों में से छोटी ने आसाराम के बेटे नारायण साईं और बड़ी बहन ने आसाराम के खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज कराई थी। बड़ी बहन की शिकायत गांधीनगर ट्रांसफर होने के कारण आसाराम पर गांधीनगर में मुकदमा चला, जिसमें सोमवार को कोर्ट ने आसाराम को दोषी करार दिया है।
शुरुआत में आसाराम ने अपने ‘व्याख्यान, देशी औषधि और भजन-कीर्तन’ से गुजरात के गांवों के गरीब, पिछड़े और आदिवासी लोगों को आकर्षित किया। बाद में धीरे-धीरे इसका प्रभाव गुजरात के शहरी क्षेत्रों के मध्यम वर्ग में भी बढ़ने लगा। दो-तीन दशकों में आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं ने मिलकर देश-विदेश में 400 आश्रमों का साम्राज्य खड़ा कर लिया था। उनके पास करीब 10 हजार करोड़ की संपत्ति बताई गई थी। आसाराम द्वारा जमा की गई संपत्ति की जांच केंद्रीय और गुजरात कर विभाग और ईडी ने भी की थी। साथ ही जांच एजेंसियों ने जमीन पर अवैध कब्जा कर बनाए गए आश्रमों की भी जांच की।
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