हमारे शरीर में रक्त का प्रवाह ही जीवन की निरंतरता को बनाए रखता है, और इस प्रवाह को दिशा देने का कार्य करती हैं धमनियां। इन्हें शरीर की जीवन की नदियां भी कहा जाता है, क्योंकि जैसे नदियां खेतों को पोषण देती हैं, वैसे ही धमनियां पूरे शरीर के ऊतकों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाने का काम करती हैं।
हृदय से ऑक्सीजन युक्त रक्त को शरीर के हर कोने तक पहुंचाना ही धमनियों का मुख्य कार्य है। इनकी दीवारें मोटी और लचीली होती हैं, जिससे ये उच्च रक्तचाप को सहन कर पाती हैं। महाधमनी सबसे बड़ी धमनी है, जबकि पूरे शरीर में कई विशिष्ट धमनियां जैसे ग्रीवा, वृक्क, यकृत, फुफ्फुसीय, ऊरु और रेडियल धमनियां विभिन्न अंगों तक रक्त पहुंचाती हैं।
धमनियां रक्तचाप को नियंत्रित रखने, शरीर के तापमान और ऊर्जा संतुलन को बनाए रखने में भी योगदान देती हैं। यदि ये अवरुद्ध हो जाएं तो हृदय, मस्तिष्क और अन्य अंगों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचती, जिससे जीवन संकट में पड़ सकता है।
धमनियों से जुड़ी बीमारियां जैसे धमनियों में वसा और कैल्शियम का जमाव, परिधीय धमनी रोग, एन्यूरिज्म और स्ट्रोक आज आम हो गए हैं, जिनमें से अधिकतर जीवनशैली और खानपान से जुड़े कारणों से होते हैं। लेकिन आयुर्वेद और घरेलू उपायों से धमनियों को स्वस्थ बनाए रखना संभव है।
लहसुन को प्राकृतिक रक्त शोधक माना जाता है, जो कोलेस्ट्रॉल कम कर ब्लॉकेज से बचाता है। नींबू और शहद वसा को घोलने में सहायक हैं। अदरक, त्रिफला, गिलोय और अर्जुन छाल जैसी औषधियां रक्त प्रवाह को सुचारु और धमनियों को लचीला बनाए रखती हैं।
अनुलोम-विलोम और कपालभाति जैसे प्राणायाम के साथ रोजाना 30 मिनट की वॉक धमनियों की शक्ति बढ़ाते हैं। सेब और अनार जैसे फलों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट सूजन कम करते हैं, वहीं तांबे के बर्तन में रखा जल रक्त को शुद्ध करता है।
आयुर्वेद कहता है शुद्ध रक्त ही दीर्घायु का मूल है। इसलिए, धमनियों की देखभाल करना, केवल हृदय को नहीं, पूरे जीवन को स्वस्थ बनाए रखने की कुंजी है।
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