नई दिल्ली। कश्मीर प्रशासन ने एक बड़ी पहल की है। कश्मीर पंडितों सहित सभी विस्थापितों की पुस्तैनी जमीन दिलाने के लिए जम्मू -कश्मीर के उपराज्यपाल ने एक पोर्टल लांच किया। यह पोर्टल उन कश्मीरियों के लिए बनाया गया जिनकी सम्पत्ति पर कब्ज़ा कर लिया गया है जबरदस्ती उन पर कब्ज़ा कर लिया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से कश्मीरी अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
घाटी में भयानक हिंसा और उथल-पुथल के दौरान 90 के दशक में लगभग 60 हजार परिवार घाटी से पलायन कर गए थे, जिनमें से लगभग 44 हजार विस्थापित परिवार ‘राहत संगठन, जम्मू-कश्मीर’ में पंजीकृत हैं। जबकि, बाकी परिवारों ने अन्य राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में स्थानांतरित होने का विकल्प चुना। गौरतलब है कि वर्ष 1989-1990 में जम्मू और कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की शुरुआत के साथ बड़ी संख्या में लोगों को अपने पैतृक निवास स्थान से पलायन करना पड़ा, विशेष रूप से कश्मीर डिवीजन में। कश्मीरी हिंदुओं के साथ-साथ कई सिख और मुस्लिम परिवारों का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ।
इन विस्थापितों की अचल संपत्तियों पर या तो अतिक्रमण कर लिया गया या उन्हें अपनी संपत्ति को औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर किया गया। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि यह पहल उन विस्थापितों की दुर्दशा का अंत करेगी जो 1990 के दशक से पीड़ित हैं। हिंसा ने सभी को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि राहत संगठन में पंजीकृत 44,000 विस्थापित परिवारों में से 40,142 हिंदू परिवार हैं, 2684 मुस्लिम परिवार हैं और 1730 सिख समुदाय से हैं। उन्होंने बताया कि पोर्टल के ट्रायल रन अवधि के दौरान, हमें 854 शिकायतें मिली हैं। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि बड़ी संख्या में विस्थापित परिवार न्याय की प्रतीक्षा कर रहे थे। अब, शिकायतों पर समयबद्ध कार्रवाई से व्यवस्था के प्रति लोगों का विश्वास बहाल होगा।
उपराज्यपाल ने कहा कि विभिन्न धर्मों के कई प्रतिनिधिमंडलों ने विस्थापितों की वापसी का समर्थन किया है। अतीत की गलतियों को सुधारना वर्तमान की जिम्मेदारी है। यह पुराने घावों को भरने का समय है। उन्होंने कहा ‘मुझे उम्मीद है कि हजारों परिवार न्याय और अपनी गरिमा फिर से हासिल करेंगे।’ उपराज्यपाल ने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदर्शों का पालन करते हुए हम जम्मू-कश्मीर में सामाजिक समानता और सद्भाव के लिए व्यापक और रचनात्मक कार्यक्रमों को लागू करने का प्रयास कर रहे हैं। इस पोर्टल पर देश-विदेश में कहीं भी रहने वाले विस्थापित कश्मीरी अपनी व्यक्तिगत या सार्वजनिक जायदाद के कब्जे या उन्हें कम दामों में खरीदे जाने की शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
शिकायत दर्ज कराने के बाद उनको एक यूनिक आईडी मिल जाएगा। इसके बाद यह आवेदन संबंधित जिले में भेजकर कार्रवाई कराई जाएगी और समय-समय पर शिकायतकर्ता या पीड़ित पक्ष को इसकी जानकारी दी जाएगी