प्रयागराज महाकुंभ के दौरान पवित्र संगम में अमृत स्नान की डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या विश्व के तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश अमेरिका से भी अधिक हो गई है। अमेरिका की जनसंख्या 34.11 करोड़ है। जबकि, संगम में रविवार को ही 34.97 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके थे। सोमवार को तो स्नान करने वालों का आंकड़ा 37 करोड़ पार कर गया।
वसंत पंचमी पर संगम तट पर भक्ति की लहरों में डूबने के लिए समूचा विश्व सूर्य पहली किरण स्फुटित होने से पहले ही मचलने लगा। महाकुंभ के तीसरे और आखिरी शाही स्नान पर्व की वसंती बहार की बयार ने पूरी दुनिया को एक सूत्र में पिरोय डाला। मेला प्रशासन ने 2.57 करोड़ श्रद्धालुओं के संगम में डुबकी लगाने का दावा किया।
बता दें जनसंख्या की दृष्टी से भारत 1. 42 अरब के साथ विश्व में पहला और चीन 1.41 अरब के साथ दूसरे स्थान पर है। वहीं, तीसरे नंबर पर अमेरिका है, जिसकी जनसंख्या 34.11 करोड़ है। मेला प्राधिकरण से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, रविवार तक महाकुंभ में 34.97 करोड़ लोग स्नान कर चुके थे।
संगम तट भारतीय और विदेशी श्रद्धालुओं से पूरी तरह से भर गया। आस्था का ऐसा संगम हुआ कि संगम की रेत तक नजर नहीं आ रही थी। हर तरफ सिर्फ सिर ही सिर नजर आ रहे थे। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, केरल, आंध्र प्रदेश समेत हर राज्य, हर जाति -पंथ के लोग थे। विदेशी श्रद्धालुओं ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। अमेरिकी, इस्राइली, फ्रांसीसी समेत कई अन्य देशों के भक्तों ने डुबकी लगाकर सनातन की संस्कृति को साझा किया।
वसंत पंचमी के बाद महाकुंभ में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 37 करोड़ पार कर गई। वसंत पंचमी अमृत स्नान पर्व पर शाम छह बजे तक ही 2.33 करोड़ लोग स्नान कर चुके थे। वहीं, रविवार तक कुल 34.97 करोड़ लोग स्नान कर चुके थे। इस तरह से सोमवार को शाम छह बजे तक 37.30 करोड़ लोग स्नान कर चुके थे। इसके बाद भी संगम व अन्य घाटों पर स्नान का क्रम लगातार जारी था।
वसंत पंचमी पर पूरी दुनियासंगम तट पर एकता के महाकुंभ को परिभाषित करती रही। इस अनंत प्रेम, बंधुत्व के प्रवाह का संत-भक्त, कल्पवासी सभी साक्षी बने। रात 12 बजे के बाद से ही वसंत की डुबकी लगने लगी। अमेरिका से आई प्रेममई साई मां लक्ष्मी के साथ डेनिल, डेनियल ट्वेन, रूस के हमजातोव, लूलिया गले में रुद्राक्ष की माला और तुलसी की लटदार कंठी पहनकर संगम पर मुस्कुराते पहुंचे।
पांच बजे भोर में को संगम जाने वाले अखाड़ा मार्ग के दोनों तरफ तिल रखने की जगह नहीं बची। त्रिवेणी पांटून पुल से संगम जाने वाले मार्ग पर ढोल, ताशे के बीच शाही सवारियों का हर किसी को इंतजार था। चाहे लाल मार्ग को या काली मार्ग या फिर त्रिवेणी मार्ग, हर तरफ से लोग झूमते, ठुमकते संगम में डुबकी लगाने पहुंचे।
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