मालदीव​: भारत से अनबन के बाद संकट में​, ​हठधर्मिता ​से दबा चीनी कर्ज में!

अब मालदीव एक बार फिर चीन से कर्ज लेने की तैयारी में है​, लेकिन ये बात मुइज्जू की समझ से परे है​|​भारत ने दशकों तक मालदीव की मदद की है। लेकिन मालदीव में सत्ता परिवर्तन के बाद वह चीन से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश कर रहा है​|​क्योंकि उन्हें चीन समर्थक माना जाता है​|​

मालदीव​: भारत से अनबन के बाद संकट में​, ​हठधर्मिता ​से दबा चीनी कर्ज में!

Maldives: In crisis after rift with India, burdened by Chinese debt due to stubbornness!

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की हठधर्मिता मालदीव के लिए कर्ज संकट का कारण बन सकती है। चीन के करीब जाने से मालदीव का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। वे पहले से ही कर्ज के बोझ से दबे मालदीव को और कर्ज में धकेल रहे हैं। उधर, भारत ने भी मालदीव को दी जाने वाली मदद कम कर दी है|अब मालदीव एक बार फिर चीन से कर्ज लेने की तैयारी में है, लेकिन ये बात मुइज्जू की समझ से परे है|भारत ने दशकों तक मालदीव की मदद की है। लेकिन मालदीव में सत्ता परिवर्तन के बाद वह चीन से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश कर रहा है|क्योंकि उन्हें चीन समर्थक माना जाता है|

चीन से ज्यादा कर्ज: माली पर बकाया कुल कर्ज का 20 फीसदी हिस्सा चीन का है। आईएमएफ भी चीन को इस बारे में पहले ही सचेत कर चुका है। लेकिन अब अधिक उधारी के साथ, मालदीव पर चीनी ऋण का अनुपात 37% तक पहुंच जाएगा। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, चीन पर मालदीव का 1.37 अरब डॉलर बकाया है।

मालदीव चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में भाग लेने वाला दक्षिण एशिया का पहला देश है। मालदीव की जनसंख्या 5 लाख है. छोटा देश होते हुए भी इसका समुद्री महत्व बहुत अधिक है।आईएमएफ की चेतावनी को नजरअंदाज कर मुइज्जू लगातार चीन के साथ रिश्ते मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।चीन ने पहले ही मालदीव में अपने पैर जमाने शुरू कर दिए थे|मालदीव की जीडीपी सिर्फ 5 अरब डॉलर है​, उन पर इससे भी ज्यादा बकाया है​|

भारत विरोधी रुख: मुइज्जू ने पिछले महीने चीन का दौरा किया था|इसके बाद से उन्होंने लगातार भारत विरोधी रुख अपनाया हुआ है|उन्होंने चीन से कर्ज का पुनर्गठन करने की अपील की है|मुइज्जू ने भारत से नाता तोड़ लिया है और चीन से नजदीकियां बढ़ा रहा है|

मालदीव की आय का मुख्य स्रोत पर्यटन उद्योग है। मालदीव में ज्यादातर पर्यटक भारत से थे​,लेकिन भारत से अलग होने के बाद भारतीय पर्यटकों ने मालदीव से मुंह मोड़ लिया है|इससे उन पर गहरा असर पड़ा है|मालदीव के तीन मंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने के बाद विवाद खड़ा हो गया। इसके बाद सोशल मीडिया पर मालदीव के बहिष्कार की मुहिम शुरू हो गई| इस साल भारतीय पर्यटकों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है| इसके बाद मुइज्जू ने चीन से मालदीव में और अधिक पर्यटक भेजने की अपील की|

​यह भी पढ़ें-

कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर का बार-बार क्यों छलकता है पाकिस्तान प्रेम?   

Exit mobile version