मणिपुर की बिगड़ती स्थिति को देखते गृह मंत्री अमित शाह ने लगातार दूसरे दिन राज्य के सुरक्षा हालात का रिव्यू किया और हालात पर काबू पाने के लिए सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (सीएपीएफ) की 50 कंपनियां (पांच हजार जवान) मणिपुर भेजने का फैसला लिया है। गत दिनों रात्रि में भडक़ी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। जिरिबाम जिला में एक मैतेई प्रदर्शनकारी की पुलिस की गोली से मौत के बाद हालात और खराब हो गए हैं। इसे देखते हुए राज्य के स्कूलों में दो दिन के लिए छुट्टी कर दी गई है।
केंद्र की ओर से विद्रोहियों और हिंसक वारदातों में शामिल लोगों के खिलाफ केंद्र सरकार ने इस बार ऑलआउट एक्शन प्लान का मसौदा तैयार किया है। हिंसक वारदातों में शामिल लोगों को उनके ठिकानों से बाहर निकाला जाएगा। पहाड़ी और घाटी जिलों के सीमांत और संवेदनशील इलाकों में सुरक्षाबलों ने सर्च ऑपरेशन चलाया गया| इस दौरान कांगपोकपी जिले के ऐगेजांग और लोइचिंग के बीच के सुरक्षाबलों ने 5 बंकर, 2 बैरक और 1 वॉशरूम नष्ट किया|
गत दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर में अर्द्ध सैनिक बलों के 2500 अतिरिक्त जवानों की तैनाती की थी। केंद्रीय बलों की 20 कंपनियों में से सीआरपीएफ की 15 और बीएसएफ की पांच कंपनियां शामिल थीं। अब बच्चों व महिलाओं सहित छह लोगों मौत के बाद सीएपीएफ की पचास अतिरिक्त कंपनियां मणिपुर भेजी गई हैं।
इसके बाद मणिपुर में सेना, लोकल पुलिस और केंद्रीय अद्र्धसैनिक बलों के जवानों की संख्या लगभग एक लाख के पार पहुंच जाएगी। ऑलआउट एक्शन प्लान तैयार के तहत विद्रोहियों को उनके ठिकानों पर दबिश देकर दबोचा जाएगा। सेना, असम रायफल और सीआरपीएफ के जवान, बॉर्डर के निकटवर्ती क्षेत्रों में छापामारी करेंगे। बाकी सुरक्षा बल, अंदर के क्षेत्रों में उपद्रवियों से निपटेंगे।
इस ऑपरेशन के तहत मणिपुर में तैयार किए गए बफर जोन का सख्ती से पालन कराया जाएगा। बता दें कि मणिपुर में सात नवंबर से लेकर अब तक लगभग बीस लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसा और आगजनी की वारदात हो रही हैं। गुस्से में आए लोगों ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और 13 विधायकों के घरों पर हमला किया था।
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