केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भरोसा जताया कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के सहयोग से भारत का आईटी सेक्टर अगले वित्त वर्ष में 450 बिलियन डॉलर के सेवा निर्यात लक्ष्य को छू सकता है। गोयल ने बताया कि बीते वर्ष सेवा क्षेत्र का निर्यात 340 बिलियन डॉलर तक पहुंचा, जिसमें आईटी और आईटी-इनेबल्ड सर्विसेज का योगदान 200 बिलियन डॉलर रहा। इस साल यह आंकड़ा 380 से 385 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे भारत की वैश्विक स्थिति और अधिक मजबूत होगी।
नैसकॉम द्वारा आयोजित ‘ग्लोबल कॉन्फ्लुएंस 2025’ में बोलते हुए, पीयूष गोयल ने भारत के आईटी सेक्टर की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को उभरती नई तकनीकों और नवाचार (इनोवेशन) की शक्ति से जोड़ा। उन्होंने कहा कि भारत का आईटी उद्योग क्वांटम कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाकर निरंतर आगे बढ़ रहा है।
गोयल ने भारत को ‘वैश्विक क्षमता केंद्र (GCCs)’ के रूप में स्थापित करने की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियों को भारतीय प्रतिभाओं को बाहर भेजने के बजाय, भारत से ही संचालन के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इससे न केवल विदेशी मुद्रा की आमद बढ़ेगी, बल्कि घरेलू रोजगार और आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी।
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गोयल ने आईटी क्षेत्र के बढ़ते प्रभाव को कमर्शियल रियल एस्टेट, हाउसिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में बढ़ती मांग से जोड़ा। उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग के विस्तार और डिजिटल बदलावों की वजह से आने वाले समय में भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित होगी।
मंत्री ने आईटी पेशेवरों के कौशल विकास पर जोर देते हुए नैसकॉम से इस दिशा में निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी रखने की अपील की। उन्होंने कहा, “नैसकॉम इस बदलाव के दौर में बेहद अहम भूमिका निभा रहा है और इसे आईटी विशेषज्ञों के कौशल को बढ़ाने की दिशा में निरंतर काम करना चाहिए।”