वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड 13 मार्च को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने जा रहा है। यह प्रदर्शन 10 मार्च को होने थे जो तारीख बदलकर 13 मार्च को किए जाने है। बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने बताया कि यह बदलाव तकनीकी कारणों से किया गया है।
केंद्र सरकार संसद के आगामी सत्र में इस विधेयक को पारित करने की तैयारी में है, जिससे मुस्लिम समुदाय में चिंता व्याप्त है। बोर्ड का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों, मस्जिदों, कब्रिस्तानों, दरगाहों, मदरसों और अन्य धार्मिक स्थलों को अधिग्रहित करने के उद्देश्य से लाया गया है, इसलिए इसे वापस लिया जाना चाहिए।
इस विधेयक के खिलाफ बोर्ड और अन्य धार्मिक संगठनों ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को ईमेल भेजे और विभिन्न नेताओं से मुलाकात कर विरोध जताया था। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री से भी इस विषय पर चर्चा की गई, जहां मुस्लिम समाज ने अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कर रहा है।
बोर्ड की कार्यकारिणी समिति ने तय किया है कि इस विरोध प्रदर्शन में धार्मिक संगठनों के नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और मुस्लिम समाज के लोग बड़ी संख्या में भाग लेंगे। दलित, आदिवासी और ओबीसी समुदायों के सामाजिक-राजनीतिक नेता, साथ ही सिख और ईसाई धर्मगुरु भी इस प्रदर्शन का हिस्सा बनाएंगे। इसके अलावा, 8 मार्च को विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश में भी एक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
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दिल्ली-एनसीआर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मेवात के मुस्लिम समुदाय से इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील की गई है। प्रवक्ता डॉ. इलियास का दावा है की विधेयक पारित हुआ, तो वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगेगा। इसलिए, इसे रोकना धार्मिक कर्तव्य और राष्ट्रीय सम्मान का विषय है।
बता दें की वक्फ विधेयक में संशोधन कर वक्फ की संपत्तियों के ऑडिट के साथ ही संपत्तियों का संरक्षण करना ही वक़्फ़ संशोधन विधेयक का उद्देश्य है। साथ ही मौलाना शाहबुद्दीन रिज़वी बरेलवी भी इस बिल के समर्थन में बयान देकर कह चुके है की इस विधेयक से वक्फ बोर्ड की रचना का सुचारु रूप से संचालन होगा, आम मुस्लिम का इस विधेयक से कोई लेना देना नहीं होगा।