फ्रांस की रक्षा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी और भारत की स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बियों का निर्माता नेवल ग्रुप साइबर हमले की चपेट में आ गया है। हैकर्स ने दावा किया है कि उन्होंने कंपनी के सिस्टम से 1 टेराबाइट तक का डेटा चुरा लिया है, जिसमें पनडुब्बियों की विपणन प्रणाली (Combat Systems) और हथियार प्रणालियों का स्रोत कोड (Source Code) भी शामिल है। हालांकि, नेवल ग्रुप ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि अब तक उनके आईटी सिस्टम में किसी तरह की अनधिकृत घुसपैठ नहीं पाई गई है। फिर भी कंपनी ने दावा किया कि वह इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और फ्रांसीसी सरकार के साथ मिलकर मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
“सभी टीमें और संसाधन इस समय डेटा की प्रामाणिकता, स्रोत और स्वामित्व की जांच में लगे हैं। अब तक किसी भी घुसपैठ का कोई प्रमाण नहीं मिला है और हमारी गतिविधियों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।”— नेवल ग्रुप का आधिकारिक बयान।
नेवल ग्रुप चार सदियों पुरानी फ्रांसीसी शिपबिल्डिंग कंपनी है, जिसने भारत समेत कई देशों के लिए उन्नत युद्धपोत और पनडुब्बियाँ बनाई हैं। भारत की छह कलवरी-क्लास (Scorpene आधारित) पनडुब्बियाँ नेवल ग्रुप की तकनीक से बनी हैं और मुंबई के मज़गांव डॉकयार्ड में तैयार की गई हैं।
गौरतलब है कि 2016 में भी 22,000 पृष्ठों की अत्यंत गोपनीय जानकारी चोरी होने का मामला सामने आया था, जो भारतीय नौसेना की स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की क्षमताओं से जुड़ी थी। ऑस्ट्रेलियन अखबार ने उस समय खुलासा किया था कि चोरी हुए दस्तावेजों में पनडुब्बियों की “गोपनीय युद्ध क्षमताएं” दर्ज थीं। रिपोर्ट के अनुसार, हैकर्स ने इस बार 30 गीगाबाइट डेटा को सार्वजनिक तौर पर इंटरनेट पर डाल दिया है और दावा किया है कि उनके पास 1 TB डेटा मौजूद है। इस लीक में पनडुब्बियों और फ्रिगेट्स की कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़ी जानकारियाँ शामिल हैं।
ज्ञात हो की इस लीक में शामिल सोर्स कोड से हमलावर सिस्टम की प्रमाणीकरण विधियों, एल्गोरिद्म और सुरक्षा खामियों को समझ सकते हैं और भविष्य में नई कमजोरियाँ डाल सकते हैं। नेवल ग्रुप ने कहा है कि यह हमला उनकी प्रतिष्ठा पर चोट करने का प्रयास है, जो वर्तमान अंतरराष्ट्रीय व व्यावसायिक तनावपूर्ण माहौल का हिस्सा है। कंपनी के मुताबिक, हैकर्स ने कोई फिरौती नहीं मांगी है, लेकिन उन्होंने 72 घंटे का अल्टीमेटम जरूर दिया था।
इस साइबर हमले ने नेवल ग्रुप की स्कॉर्पीन पनडुब्बियाँ इस्तेमाल कर रहे भारत बल्कि मलेशिया, इंडोनेशिया और चिली जैसे देशों को भी चिंता में डाल दिया हैं। अगर लीक किए गए स्रोत कोड वास्तविक हैं, तो इससे इन देशों की समुद्री सुरक्षा प्रणालियाँ साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील हो सकती हैं। भारत जैसे देशों के लिए यह एक चेतावनी भी है कि वे विदेशी साझेदारों के साथ डिजिटल सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए नए कदम उठाएं, ताकि इस तरह के लीक भविष्य में सामरिक सुरक्षा को खतरे में न डाल सकें।
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