नेपाल में हाल ही में हुए जेन-जी आंदोलन ने देश की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका दिया है। आंदोलन के दौरान संपत्तियों को हुए नुकसान की वजह से बीमा कंपनियों के पास रिकॉर्ड स्तर पर दावे पहुंचे हैं। नेपाल इंश्योरेंस अथॉरिटी के मुताबिक, अब तक कंपनियों को करीब 1,984 क्लेम प्राप्त हुए हैं, जिनकी कुल राशि 20.7 अरब नेपाली रुपए आंकी गई है। यह नेपाल के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा बीमा क्लेम माना जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि नुकसान का आकलन अभी जारी है, इसलिए बीमा दावों की संख्या और राशि आगे और बढ़ सकती है। अब तक प्राप्त क्लेम 2015 में आए भूकंप से ज्यादा हैं। उस समय कुल क्लेम 16.5 अरब नेपाली रुपए तक पहुंचे थे। कोविड-19 के दौरान भी नेपाल सरकार ने एक विशेष बीमा स्कीम चलाई थी, जिसमें कंपनियों को 16 अरब एनपीआर से ज्यादा के क्लेम निपटाने पड़े थे।
सबसे ज्यादा दावे भारतीय ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की काठमांडू शाखा को मिले हैं। 16 सितंबर तक कंपनी को 40 मामलों में 5.14 अरब नेपाली रुपए के दावे प्राप्त हुए, जिनमें सबसे बड़ा हिस्सा होटल हिल्टन काठमांडू का है, जिसे प्रदर्शनकारियों ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था।
टॉप पांच कंपनियों में सिद्धार्थ प्रीमियर इंश्योरेंस, शिखर इंश्योरेंस, आईजीआई प्रूडेंशियल इंश्योरेंस और सागरमाथा लुम्बिनी भी शामिल हैं। इन सभी को अरबों रुपए के दावे निपटाने होंगे। इस बीच, नेपाल इंडस्ट्रीज कॉन्फेडरेशन (CNI) ने बताया कि कई प्रमुख कंपनियों ने अकेले ही 60 अरब नेपाली रुपए से अधिक के नुकसान की सूचना दी है। निजी क्षेत्र की संपत्तियों को हुए वास्तविक नुकसान का आकलन करने का काम अभी चल रहा है।
स्पष्ट है कि जेन-जी आंदोलन ने नेपाल में सामाजिक-राजनीतिक अस्थिरता के साथ-साथ आर्थिक ढांचे पर भी गहरी चोट की है। बीमा क्षेत्र पर पड़ा यह बोझ आने वाले समय में कंपनियों की वित्तीय स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
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