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नई दिल्ली: सेबी ने कहा, अधिक मजबूत हुई है भारत की वित्तीय प्रणाली!

इसी के साथ उभरते जोखिमों को प्रबंधित करने और रोकने के लिए प्रतिभूति बाजारों में रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को अंतरराष्ट्रीय प्रैक्टिस के अनुरूप बेहतर बनाया गया है।

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भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शनिवार को आईएमएफ-फाइनेंशियल सिस्टम स्टेबिलिटी असेस्मेंट (एफएसएसए) की लेटेस्ट रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत की वित्तीय प्रणाली तेजी से होते आर्थिक विकास के कारण अधिक लचीली और विविधतापूर्ण हो गई है।

इसी के साथ उभरते जोखिमों को प्रबंधित करने और रोकने के लिए प्रतिभूति बाजारों में रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को अंतरराष्ट्रीय प्रैक्टिस के अनुरूप बेहतर बनाया गया है।

बाजार नियामक ने एक बयान में कहा कि भारत में वित्तीय क्षेत्र ने 2010 के दशक के विभिन्न संकटों से उबरते हुए महामारी का अच्छी तरह सामना किया है।

सेबी ने आईएमएफ रिपोर्ट के निष्कर्षों का हवाला देते हुए कहा, “वित्तीय क्षेत्र के परिदृश्य के विकास के संदर्भ में, गैर-बैंकिंग वित्तीय मध्यस्थ (एनबीएफआई) सेक्टर विविधतापूर्ण हो गया है, लेकिन अधिक परस्पर जुड़ा हुआ है। बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के पास गंभीर मैक्रो-वित्तीय परिदृश्यों में भी मध्यम ऋण देने के लिए पर्याप्त पूंजी है।”

एनबीएफसी के रेगुलेशन और सुपरविजन पर आईएमएफ ने स्केल बेस्ड रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के साथ एनबीएफसी की विवेकपूर्ण आवश्यकताओं के लिए भारत के व्यवस्थित दृष्टिकोण को स्वीकार किया।

आईएमएफ ने बड़ी एनबीएफसी के लिए बैंक लाइन लिक्विडिटी कवरेज रेशो (एलसीआर) की शुरूआत पर भारत के दृष्टिकोण की भी सराहना की।

बैंकों के सुपरविजन के लिए, आईएमएफ ने आईएफएसआर 9 को अपनाने और इंडिविजुअल लोन, कोलेटरल वैल्यूएशन, कनेक्टेड उधारकर्ता समूहों, बड़ी जोखिम सीमाओं और रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन पर सुपरविजन को अपग्रेड करने की सलाह दी है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बड़े सुधारों में कॉर्पोरेट डेट मार्केट डेवलपमेंट फंड (सीडीएमडीएफ) की स्थापना, स्विंग प्राइसिंग की शुरूआत और बॉन्ड म्यूचुअल फंड के लिए लिक्विडिटी रिक्वायरमेंट्स शामिल हैं।

आईएमएफ-एफएसएसए रिपोर्ट के अनुसार, तेजी से बढ़ते इक्विटी डेरिवेटिव प्रोडक्ट के लिए स्थिरता और निवेशक सुरक्षा उपायों जैसे उभरते क्षेत्रों में रेगुलेटरी दायरे का भी विस्तार किया गया है।

सेबी के अनुसार, “एफएसएसए रिपोर्ट स्वीकार करती है कि भारत का बीमा क्षेत्र मजबूत है और विकास के पथ पर है, जिसमें लाइफ और जनरल इंश्योरेंस दोनों में महत्वपूर्ण उपस्थिति है। बेहतर रेगुलेशन और डिजिटल इनोवेशन द्वारा समर्थित, यह क्षेत्र स्थिर बना हुआ है।”

रिपोर्ट में भारत द्वारा निगरानी, ​​जोखिम प्रबंधन और शासन में सुधार की प्रगति का उल्लेख किया गया है।

 
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