नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसक घटनाओं लेकर ममता बनर्जी पर जोरदार हमला बोला है। आयोग ने 50 पन्नों की रिपोर्ट में कहा है कि राज्य में कानून का राज नहीं बल्कि, शासक का कानून चल रहा है। आयोग ने इसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि चुनाव के बाद राज्य में हिंसा की बड़ी घटनाएं हुई हैं। इन मामलों की सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए और इनका ट्रायल भी बंगाल से बाहर चलाया जाना चाहिए। रिपोर्ट में ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली सरकार की तीखी आलोचना की गई है और आरोप लगाया गया है कि वह चुनाव के बाद हुई हिंसा को रोकने में नाकाम रही है।
पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जिस तरह से हिंसक घटनाएं पूरे राज्य में हुई थीं, उससे ऐसा लगता है कि राज्य सरकार पीड़ितों को लेकर चिंतित नहीं थी। पैनल ने कहा कि राज्य में जिस तरह से हिंसा हुई है, उससे ऐसा लगता है कि यह संगठित अपराध था। मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि बंगाल में संगठित अपराध हुआ था। यह ऐसे लोगों के खिलाफ हुए, जिन्होंने दूसरी प्रमुख पार्टी का समर्थन किया था। यहां पैनल का दूसरी प्रमुख पार्टी से अर्थ बीजेपी से था। रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव के बाद जिस दौरान हिंसा हो रही थी, उस वक्त राज्य सरकार के कुछ लोग और संगठन मूकदर्शक बने बैठे रहे।
बता दें कि उच्च न्यायालय में दायर कई जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा में लोगों पर हमले किए गए जिसकी वजह से उन्हें अपने घर छोड़ने पड़े और उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया गया। इन याचिकाओं की सुनवाई करते हुए ही कोलकाता हाई कोर्ट ने एनएचआरसी को जांच के लिए एक पैनल का गठन करने का आदेश दिया था। एनएचआरसी की समिति ने अपनी बेहद तल्ख टिप्पणी में कहा, ‘सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों द्वारा यह हिंसा मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों को सबक सिखाने के लिए की गई।’ एनएचआरसी की रिपोर्ट टीएमसी मुखिया ने आयोग पर हमला बोला है। ममता बनर्जी ने कहा कि आयोग की ओर से राजनीतिक साजिश के तहत रिपोर्ट को ऑनलाइन लीक किया गया है। ममता बनर्जी ने कहा, ‘बीजेपी की ओर से अब निष्पक्ष संगठनों को भी अपने राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। हमारे राज्य को बदनाम किया जा रहा है।