केरल की नर्स निमिषा प्रिया की यमन में फांसी की सजा रद्द किए जाने की खबर पर सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट इनकार कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, विदेश मंत्रालय ने मंगलवार (29 जुलाई) को यह स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया और कुछ व्यक्तियों द्वारा फैलाया गया यह दावा भ्रामक और तथ्यहीन है। विदेश मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, “निमिषा प्रिया केस को लेकर जो सूचनाएं प्रसारित की जा रही हैं, वे गलत हैं। यमन सरकार की ओर से अभी तक फांसी रद्द होने की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।”
भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंठापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय ने दावा किया था कि सना में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में निमिषा प्रिया की फांसी की सजा, जिसे पहले आस्थगित किया गया था, को पूरी तरह रद्द करने का निर्णय लिया गया है। इस दावे को एएनआई और पीटीआई जैसी समाचार एजेंसियों ने भी उद्धृत किया। ग्रैंड मुफ्ती कार्यालय की ओर से यह भी कहा गया था कि अभी यमनी प्रशासन से इस संबंध में कोई आधिकारिक दस्तावेज या लिखित पुष्टि नहीं मिली है।
निमिषा प्रिया को 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में दोषी पाया गया था। 2020 में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसे 2023 में यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने बरकरार रखा था। वहीं भारत सरकार की दोस्त देशों की बैकडोर डिप्लोमसी के चलते निमिषा के फांसी पर अस्थायी रोक लगी। उनकी इस पहल के बाद निमिषा की फांसी को फिलहाल टाल दिया गया, लेकिन रद्द नहीं किया गया, जैसा कि कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया था।
निमिषा प्रिया की फांसी पर आधिकारिक रूप से रोक लगी हुई है, लेकिन उसकी सजा पूरी तरह रद्द नहीं हुई है। जब तक यमन सरकार द्वारा लिखित और औपचारिक पुष्टि नहीं की जाती, तब तक इस दावे को सत्य नहीं माना जा सकता। भारत सरकार ने यह भी कहा है कि वह निमिषा और उसके परिवार को हरसंभव मदद प्रदान कर रही है और यमन के अनुकूल देशों के माध्यम से संपर्क बनाए हुए है।
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