यमन में हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी को अंतिम समय में टाल दिया गया है, और इस राहत के पीछे भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख कंथापुरम ए. पी. अबूबकर मुसलियार की मानवीय पहल को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मुफ्ती ने यमनी इस्लामी विद्वानों से सीधे संपर्क साधा और इस्लामिक कानून के तहत क्षमा की संभावना पर उनसे बातचीत की, जिससे फांसी पर अस्थायी रोक संभव हो सकी।
शेख अबूबकर मुसलियार ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में बताया, “इस्लाम में एक और कानून है। अगर किसी को मौत की सजा मिली है, तो पीड़ित परिवार को क्षमा करने का अधिकार है। मुझे नहीं पता कि वह परिवार कौन है, लेकिन मैंने दूर से ही यमन के ज़िम्मेदार इस्लामी विद्वानों से संपर्क किया और उन्हें मुद्दे की संवेदनशीलता समझाई। इस्लाम मानवता को सर्वोपरि मानता है।”
उन्होंने कहा कि उनकी अपील के बाद यमन के विद्वानों ने आपस में बैठक की, मामले पर चर्चा की और आश्वासन दिया कि वे इस दिशा में यथासंभव प्रयास करेंगे।
The execution of Nimisha Priya, which was scheduled to take place tomorrow (16/07/25), has been postponed to another day.
This is the verdict given by the Public Prosecution of Specialized Criminal Court, Republic of Yemen, today.
Office of the Grand Mufti of India
15.07.2025 pic.twitter.com/iIaqWebVDQ— Grand Mufti of India مفتي الديار الهندية (@GrandMuftiIndia) July 15, 2025
“हमें अब आधिकारिक सूचना और दस्तावेज प्राप्त हुआ है जिसमें बताया गया है कि फांसी की तारीख टाल दी गई है। इससे आगे की बातचीत के लिए समय मिलेगा,” उन्होंने कहा। उन्होंने यह भी बताया कि इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी उन्होंने भारत सरकार और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी भेज दी है।
38 वर्षीय निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोड की रहने वाली हैं। उन्हें जुलाई 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में दोषी पाया गया था। 2020 में यमन की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी, जिसे नवंबर 2023 में देश की सुप्रीम जुडिशियल काउंसिल ने बरकरार रखा।
वर्तमान में निमिषा हूथी विद्रोहियों के नियंत्रण वाले यमन की राजधानी सना की जेल में बंद हैं। भारत का यमन में कोई दूतावास नहीं है, इसलिए सऊदी अरब में भारतीय मिशन के अधिकारी लगातार जेल प्रशासन और अभियोजन पक्ष से संपर्क में बने हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार इस मामले में प्रारंभ से ही हर संभव सहायता कर रही है, लेकिन देश की स्थिति को देखते हुए कूटनीतिक प्रयासों की एक सीमा है। भारतीय पक्ष ने निमिषा की रिहाई के लिए इस्लामिक व्यवस्था ‘दीया’ (रक्तधन) का विकल्प भी तलाशा, जिसमें दोषी के बदले पीड़ित परिवार को मुआवजा राशि देकर क्षमा प्राप्त की जा सकती है। लेकिन यह प्रयास भी कुछ अड़चनों के चलते सफल नहीं हो सका।
भारत सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि वह जो कुछ “अत्यंत संभव” है, वह कर रही है। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ को बताया, “जहां तक भारत सरकार जा सकती है, हम वहां तक पहुंच चुके हैं। स्थिति को देखते हुए बहुत अधिक कुछ नहीं किया जा सकता।”
निमिषा की मां प्रेमकुमारी भी अपनी बेटी की रिहाई के प्रयासों में जुटी हैं। उन्होंने पिछले वर्ष यमन की यात्रा भी की थी ताकि परिवार की ओर से सीधे बातचीत और क्षमा याचना का प्रयास किया जा सके। अब यह देखना अहम होगा कि क्या पीड़ित परिवार क्षमा की ओर आगे बढ़ता है, या यह राहत महज कुछ दिनों की मोहलत बनकर रह जाती है।
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