भारतीय मुक्केबाज निशांत देव ने अमेरिका के प्रतिष्ठित मैडिसन स्क्वायर गार्डन थिएटर, न्यूयॉर्क में एक और ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए मैक्सिको के जोस्यू सिल्वा को मात दी। यह उनकी प्रोफेशनल बॉक्सिंग करियर की दूसरी बाउट थी, जिसमें उन्होंने पूरे छह राउंड तक दबदबा बनाए रखा और तीनों जजों ने सर्वसम्मति से उन्हें 60-54 अंक दिए।
निशांत की इस शानदार जीत से उनके माता-पिता की आंखें खुशी से नम हो गईं। मां प्रियंका देव ने कहा, “बेटे को जीतते देखना बहुत अच्छा लगा। बॉक्सिंग एक ऐसा खेल है जिसमें चोटें आम हैं, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं। वह बहुत मेहनत करता है और हमें उस पर गर्व है।”
निशांत के संघर्ष की कहानी छोटी उम्र से शुरू होती है। मां ने बताया कि वह पांचवीं कक्षा से ही बॉक्सिंग के लिए स्टेडियम जाने लगा था। स्कूल के बाद वह शाम को स्टेडियम जाता, फिर घर आकर पढ़ाई करता और सुबह 4 बजे उठकर दोबारा अभ्यास करता था। यह अनुशासन और समर्पण आज उन्हें विश्व मंच पर ले आया है।
पिता पवन देव ने कहा, “यह उसका दूसरा प्रोफेशनल मुकाबला था और इस बार उसने पूरे छह राउंड का अनुभव हासिल किया। यह खेल जितना रोमांचक है, उतना ही खतरनाक भी। लेकिन निशांत का आत्मविश्वास देखने लायक था।”
हरियाणा के करनाल निवासी निशांत इससे पहले भी लास वेगास में खेले गए मुकाबले में एल्टन विगिंस को हराकर अपने प्रोफेशनल करियर की शुरुआत कर चुके हैं। इसके अलावा, उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए 2024 ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया और वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल भी अपने नाम किया।
प्रोफेशनल बॉक्सिंग में वह वर्ग होता है जहां दुनिया के दिग्गज मुक्केबाज हिस्सा लेते हैं। इस मंच पर निशांत अपनी कद-काठी और आक्रामक शैली से न केवल टक्कर दे रहे हैं, बल्कि भारत का नाम भी गर्व से ऊंचा कर रहे हैं।
न्यूयॉर्क की चमचमाती रिंग में जब निशांत ने अपने पंचों से जोस्यू सिल्वा को पीछे धकेला, तो सिर्फ एक बॉक्सिंग मैच नहीं जीता, बल्कि यह दर्शाया कि संघर्ष, अनुशासन और आत्मविश्वास के दम पर कोई भी भारतीय बेटा दुनिया के सबसे बड़े मंच पर भी अपनी छाप छोड़ सकता है।
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