उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग-उन ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर हलचल मचा दी है। विशेष अभियानों और टैंक सब यूनिट्स के संयुक्त फायर स्ट्राइक प्रदर्शन का निरीक्षण करने के बाद किम ने अपनी सेना को स्पष्ट आदेश दिए हैं—”युद्ध के लिए पूरी तैयारी करें।” यह निर्देश उत्तर कोरिया की आक्रामक सैन्य रणनीति की अगली कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।
कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (KCNA) की रिपोर्ट के अनुसार, किम जोंग-उन ने कहा, “यह कहते हुए कि हमारे क्रांतिकारी सशस्त्र बल अब कुछ मोर्चों का ही प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, बल्कि उनमें से सबसे महत्वपूर्ण साम्राज्यवाद-विरोधी वर्ग मोर्चा भी शामिल है और युद्ध के लिए पूरी तैयारी करना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।” इस बयान को उत्तर कोरिया की वैश्विक भूमिका को पुनर्परिभाषित करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें वह स्वयं को एक निर्णायक ‘साम्राज्यवाद विरोधी ताकत’ के रूप में पेश कर रहा है।
KCNA के मुताबिक, किम ने यह भी कहा कि युद्ध अभ्यास “पूरी सेना को एक कुलीन रैंक में बदलने में मदद करेगा।” विश्लेषकों का मानना है कि यह वक्तव्य रूस-यूक्रेन युद्ध में उत्तर कोरिया की सैन्य भागीदारी को औचित्य प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है।
राज्य मीडिया द्वारा जारी तस्वीरों में उत्तर कोरियाई सैनिकों को ड्रोन संचालित करते हुए दिखाया गया है—इससे इस बात की पुष्टि होती है कि देश ड्रोन युद्ध तकनीक में तेजी से प्रशिक्षण ले रहा है। दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी के अनुसार, उत्तर कोरियाई सैनिक मास्को में प्रशिक्षण ले रहे हैं और रूस से ड्रोन संचालन व युद्ध रणनीति सीख रहे हैं।
गौरतलब है कि अप्रैल में उत्तर कोरिया ने पहली बार यह स्वीकार किया था कि उसने यूक्रेनी सेना के खिलाफ लड़ने के लिए रूस में सैनिकों की तैनाती की है। इसके बाद बीते सप्ताह रूसी दूतावास की प्योंगयांग यात्रा के दौरान किम ने स्पष्ट रूप से कहा कि रूस के साथ युद्ध में उत्तर कोरिया की भागीदारी “उचित” है और यह मास्को के साथ “आपसी रक्षा संधि के तहत संप्रभु अधिकारों का प्रयोग” है।
उत्तर कोरिया की इस आक्रामक मुद्रा ने दक्षिण कोरिया और अमेरिका दोनों को सतर्क कर दिया है। जहां एक ओर प्योंगयांग अपने सैन्य अभ्यासों को वैध ठहराने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर यह विश्व शांति के लिए एक नई चुनौती भी बनता जा रहा है।
यह भी पढ़ें:
भारत ने नहीं मांगी मध्यस्थता, फिर क्यों अमेरिका बना ‘शांति चौधरी’?
कपालभाति प्राणायाम से मिलते हैं कई फायदे, जानिए किन्हें है परहेज!
POK खाली कराना ही मुद्दा, तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नामंजूर: विदेश मंत्रालय!
