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Thursday, December 5, 2024
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अजमेर दरगाह में शिव मंदिर के दावे पर अब मोइनुद्दीन चिश्ती का वंशज आए सामने, सरकार से कानून बनाने की मांग!

कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस देकर अपना पक्ष रखने को कहा है।

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राजस्थान के अजमेर शरीफ की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर का दावा करते हुए एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से यह याचिका दाखिल की गई थी, जिसके बाद स्थानीय अदालत द्वारा नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं,इसे लेकर अब बवाल शुरू हो चूका है। इस मामले में मोईनुद्दीन चिश्ती के वंशज होने का दावा करने वाले सैयद नसरुद्दीन चिश्ती की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है।

राजस्थान के अजमेर शरीफ की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर के दावे को लेकर दाखिल की गई याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इस मामले से जुड़े पक्षकारों को हाजिर होने की नोटिस भी दी है। कोर्ट के नोटिस जारी होते ही दोनों पक्षों की ओर से बयानबाजी भी शुरू चुकी है।

दरम्यान सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा की,”… संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए गए हैं, एक है दरगाह समिति, ASI और तीसरा अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय… मैं ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का वंशज हूं, लेकिन मुझे इसमें पक्ष नहीं बनाया गया है… हम अपनी कानूनी टीम के संपर्क में हैं… देश में ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं… यह हमारे समाज और देश के हित में नहीं है… अजमेर का 850 साल पुराना इतिहास है… मैं भारत सरकार से इसमें हस्तक्षेप करने की अपील करता हूं। एक नया कानून बनाया जाना चाहिए और दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए ताकि कोई भी इन जैसे धार्मिक संगठनों पर दावा न कर सके…”

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बता दें की, अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम ने सुनने योग्य माना है। कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस देकर अपना पक्ष रखने को कहा है। कोर्ट ने मामले में 5 दिसंबर को सुनवाई की तारीख तय की है।

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