अमृतसर। पंजाब के कांग्रेस कमेटी प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार मलविंदर सिंह माली अपने बयानों को लेकर विवादों में हैं। उन्होंने पद संभालते ही ऐसे बयान दिए जिससे कांग्रेस पार्टी की खूब किरकिरी हुई। हालांकि पार्टी के आलाकमानों के एक्शन लेने के बाद शुक्रवार को मलविंदर सिंह माली ने सिद्धू के सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया है। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने सिद्दू को दो टूक कह दिया है कि वह अपने सलाहकारों को हटाएं।
दरअसल, 63 साल के मलविंदर सिंह मूल रुप से संगरूर जिले सकेरौदी गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने कॉलेज में एक छात्र नेता के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की थी। माली ने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला से पत्रकारिता की पढ़ाई की हुई है। इसके बाद वह कई अखबरों में बतौर संपादक काम भी कर चुके हैं। साल 1980 में माली ने पंजाब छात्र संघ का चुनाव लड़ा था, इस दौरान वह राज्य में छात्र संघ महासचिव बने थे।
बता दें कि माली का विवादों से पुराना नाता रहा है। वह 1993 में एनएसए और टाडा के भी आरोपी रह चुके हैं। उन्हें भड़काऊ भाषण और लेखन के लिए पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार भी किया जा चुका है। हालांकि डेढ़ महीने की जेल के बाद उन्हें जमानत मिल गई थी। माली के अधिकतर आर्टिकल उग्रवाद और आतंकवाद को सहानुभूति देने वाले होते थे। माली सीएम अमरिंदर सिंह और प्रकाश सिंह बादल के मख्यमंत्री रहते हुए जनसंपर्क अधिकारी के तौर पर भी काम कर चुके हैं। वह पूर्व जनसंपर्क मंत्री सेवा सिंह सेखवां के साथ भी विवादों में आए थे। इतना ही नहीं अकाली सरकर के दौरान उनका शिक्षा मंत्री सिकंदर सिंह मलूका के साथ भी विवाद चर्चा में रहा है।