नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को झटका देते हुए डोर स्टेप राशन डिलीवरी योजना को खारिज करते हुए इस पर रोक लगा दी थी। इसके बाद से ही दोनों पक्षों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल सरकार केंद्र की वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना को लागू नहीं करके भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना चाहती है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत ई-पॉस व्यवस्था अर्थात “वन नेशन-वन राशन कार्ड” योजना देशभर में लागू की गई है। इस योजना में राशन कार्ड धारक को किसी एक राशन की दुकान से अपना राशन लेने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ता है, लेकिन केजरीवाल सरकार ने इस योजना को लागू न करते हुए पूरी दिल्ली में राशन वितरण व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपना चाहती है।
केंद्र सरकार की वन नेशन वन राशन कार्ड योजना और इसमें केंद्र व राज्य सरकारों की भागीदारी किस तरह से रहती है। राशन कार्ड धारक देश की लगभग 5.25 लाख राशन दुकानों में से कहीं से भी राशन प्राप्त कर सकता है। यहां तक कि मजबूर दिल्ली की किसी भी राशन की दुकान से राशन ले सकता है। ई-पास व्यवस्था उन्हें हर स्थान पर राशन उपलब्ध कराती है, जो बायोमैट्रिक सिस्टम पर आधारित है। इसके माध्यम से राशन कार्ड धारक की पहचान उसकी आंख और हाथ के अंगूठे से की जाती है। National Food Security Act के अनुसार 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग जो अकेले रहते हैं तथा दिव्यांगों को उनके घर पर राशन पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। इस योजना के अंतर्गत एक ही राशन कार्ड पर देश में कहीं से भी राशन लिया जा सकता है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली-पीडीएस के लाभार्थी 1 अक्टूबर 2020 से अपनी इच्छानुसार उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस) से सस्ते मूल्य पर सब्सिडी वाले खाद्यान प्राप्त कर सकते हैं। वन नेशन वन राशन कार्ड का लाभ राशन कार्ड रखने वाले सभी नागरिकों को दिया जा रहा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के मुताबिक, देश के 81 करोड़ लोग जन वितरण प्रणाली (PDS) के जरिए राशन की दुकान से 3 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से चावल और 2 रुपए प्रति किलो की दर से गेहूं और एक रुपए प्रति किलोग्राम की दर से मोटा अनाज खरीद सकते हैं।